नवीनतम लेख
सनातन धर्म की परंपराएं और मान्यताएं सदियों से समाज के सभी वर्गों और भावनाओं को आत्मसात करती रही हैं। इसी का एक उदाहरण है गंधर्व विवाह जो मनुस्मृति सहित अन्य धर्म ग्रंथों में वर्णित है। यह विवाह उन पुरुषों और महिलाओं को वैधता प्रदान करता है, जो एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और समाज या परिवार की अनुमति के बिना विवाह करना चाहते हैं। प्राचीन समय में इसे प्रेम और स्वतंत्रता का प्रतीक माना गया था। आइए इस लेख में गंधर्व विवाह के बारे में रोचक तथ्यों, इसके इतिहास और महत्व को विस्तार से जानते हैं।
गंधर्व विवाह वह विवाह है जिसमें पुरुष और महिला एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और बिना परिवार, समाज या जाति की अनुमति के विवाह करते हैं। यह प्राचीन भारत में प्रेम विवाह का एक प्रचलित रूप था। इसे सामाजिक रीति-रिवाजों या जातीय बंधनों से स्वतंत्र माना जाता था।
इस विवाह के लिए ना तो परिवार की अनुमति ली जाती है और ना ही कोई सामाजिक स्वीकृति जरूरी होती है।
गंधर्व विवाह की जड़ें भारतीय इतिहास और धर्मग्रंथों में गहराई से जुड़ी हुई हैं। इसे प्रेम और सच्चाई का प्रतीक माना गया है।
इस विवाह ने सामाजिक बंधनों और जातिगत भेदभाव से मुक्त होकर प्रेम को मान्यता दी। गंधर्व विवाह सरल और प्रेमपूर्ण प्रक्रिया पर आधारित होता है।
गंधर्व विवाह की लोकप्रियता उसके लचीलेपन और प्रेम पर आधारित होने के कारण थी। इसमें जाति, वर्ण और सामाजिक मान्यताओं को दरकिनार करते हुए प्रेम को प्राथमिकता दी जाती थी। जब परिवार या समाज इस प्रेम विवाह को अस्वीकार करता था, तब प्रेमी युगल गंधर्व विवाह का सहारा लेते थे। साथ ही इसमें पारंपरिक विवाह के जटिल नियमों की आवश्यकता भी नहीं पड़ती थी।
गंधर्व विवाह ने भारतीय समाज में प्रेम विवाह की अवधारणा को मजबूत किया। यह विवाह सामाजिक बंधनों से मुक्त था और इसे प्रेम, स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय का प्रतीक माना जाता था। हालांकि, समय के साथ यह प्रथा कम प्रचलित हो गई, लेकिन यह आज भी प्राचीन भारतीय संस्कृति में प्रेम और स्वतंत्रता की भावना को बखूबी दर्शाती है।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।