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हिंदू धर्म में भगवान परशुराम एक महान ऋषि, योद्धा और भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। भगवान परशुराम को परशु ‘फरसा’ धारण करने वाले ऋषि के रूप में पूजा जाता है, और उनके जीवन से जुड़े अनेक स्थल आज भक्तों के लिए विशेष तीर्थ स्थलों में से एक हैं। भारत भर में उनके अनेक मंदिर हैं, मगर पांच मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं, जो भगवान परशुराम के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं से भी जुड़े हुए हैं।
राजस्थान के पाली जिले में परशुराम महादेव मंदिर है, जो अरावली पर्वतमाला की ऊंचाई पर स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने अपने फरसे से इस गुफा को स्वयं बनाया था और यहां भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान धार्मिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के कारण भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए 500 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं और हर साल श्रावण मास में यहां एक विशाल मेला लगता है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के निरमंड क्षेत्र में स्थित यह मंदिर भगवान परशुराम की कठोर आज्ञापालन भावना का प्रतीक है। यह वही स्थान है जहां उन्होंने अपने पिता ऋषि जमदग्नि के आदेश पर अपनी माता रेणुका का वध किया था। यह मंदिर प्राचीन लकड़ी की सुंदरता को दर्शाता है और विशेषकर दशहरा उत्सव के दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
झारखंड के गुमला जिले में स्थित टांगीनाथ धाम एक पवित्र स्थल है जहां भगवान परशुराम ने भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु कठोर तप किया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने अपना फरसा यहीं कि भूमि में गाड़ा था, जो आज भी एक पत्थर के नीचे दबा दिखाई देता है।
महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिपलून में स्थित यह मंदिर भगवान परशुराम को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने समुद्र से भूमि प्राप्त कर यहीं एक क्षेत्र बसाया था, जिसे ‘परशुराम भूमि’ भी कहा जाता है। यहां हर वर्ष परशुराम जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
केरल के तिरुवनंतपुरम के तिरुवल्लम में स्थित श्री परशुराम मंदिर दक्षिण भारत में भगवान परशुराम को समर्पित प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर त्रिवेणी संगम के निकट स्थित है, जहां पिंडदान और तर्पण आदि भी होते हैं।
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