नववर्ष 2025 के स्वागत के लिए दुनियाभर में तैयारियां चल रही हैं। हर किसी की कामना है कि नया साल उनके लिए बहुत सारी खुशियां लेकर आए और उन्हें जीवन में कोई परेशानी न हो। नए साल को शुभ बनाने के लिए कोई इस दिन धार्मिक स्थलों के दर्शन करने जाता है तो कोई पूजा-पाठ करता है। आज हम आपको ऐसा ज्योतिष उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे अगर आपने कर लिया तो मां लक्ष्मी स्वयं नए साल में खुद चलकर आपके घर आने को विवश हो जाएंगी। साथ ही आपके धन भंडार अपने आप भरते चले जाएंगे। ये उपाय न सिर्फ मां लक्ष्मी को प्रसन्न करेंगे बल्कि आपके घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेंगे। आइए जानते हैं
ज्योतिष के अनुसार, मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन राशियों के जातकों को अष्ट लक्ष्मी की साधना करने की बजाय देवी महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। बता दें कि धर्म ग्रंथों और पुराणों में मां लक्ष्मी के 8 स्वरूपों का वर्णन है जिन्हें अष्ट लक्ष्मी कहा जाता है।
महालक्ष्मी की साधना को सफल बनाने के लिए विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से माता जल्दी प्रसन्न होती हैं और आप पर विशेष कृपा बरसाती हैं। मां लक्ष्मी (अष्ट लक्ष्मी) को अलग-अलग प्रकार के विभाग दिए गए हैं। जो जातकों को मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, पद, धन, सेहत समेत अलग-अलग सुविधाएं और मनोकामना पूर्ण करने के आशीर्वाद देती हैं। लेकिन अगर आपको ये सारी मनोकामनाएं पूर्ण करनी हैं तो अष्टलक्ष्मी यानी मां लक्ष्मी के अलग-अलग अंशों की पूजा करने के बजाय महालक्ष्मी की स्तुति करनी चाहिए।
ज्योतिषी का मानना है कि जब आप महालक्ष्मी की पूजा-आराधना कर रहे हों तो भगवान विष्णु को हर्गिज न भूलें। लोग अक्सर माता महालक्ष्मी की पूजा में एक बड़ी गलती यही करते हैं कि वह देवी की पूजा तो करते हैं, लेकिन विष्णु भगवान की आराधना नहीं करते। जिस तरह मानव जीवन में जहां पति का सम्मान नहीं होता वहां पत्नी नहीं जाती है ठीक उसी तरह भगवान विष्णु मां महालक्ष्मी के पति हैं, जिससे भगवान रूठ जाते हैं और माता को जाने से रोक देते हैं। मां लक्ष्मी स्वयं भी ऐसे घर नहीं जातीं, जहां भगवान विष्णु का सम्मान न होता हो। अगर 31 दिसंबर की आधी रात को दोनों की एक साथ पूजा-आराधना करके उनसे आशीर्वाद मांगा जाए तो जातक को बहुत फायदा होगा और उसका घर धन-भंडार से भरा रहेगा।
इस समय करें आराधना
ज्योतिषी के मुताबिक, इस पूजा को 31 दिसंबर 2024 की मध्य रात्रि में 12 बजे (1 जनवरी 2025 की सुबह से पहले वाली रात) में करना चाहिए। जिससे नए साल में अष्ट देवियों की कृपा से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही कुलदेवी और पूर्वजों का भी आशीर्वाद मिलेगा।
हिंदू धर्म में बृहस्पतिवार का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन बृहस्पति देव, जो कि ज्ञान, शिक्षा, और बौद्धिकता के देवता हैं, को समर्पित होता है।
सनातन हिंदू धर्म के वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्तमान में माघ का पवित्र महीना चल रहा है। इस दौरान पड़ने वाली नवरात्रि को माघ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी से जुड़ा होता है। इसे लक्ष्मी व्रत या शुक्रवार व्रत के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में शनिवार का दिन विशेष रूप से भगवान शनिदेव से जुड़ा हुआ होता है। इसे "शनिवार व्रत" या "शनि व्रत" के रूप में मनाया जाता है।