बिहार के प्रमुख सूर्य मंदिर

दर्शन समय

N/A

ये हैं बिहार के प्रमुख सूर्य मंदिर, छठ महापर्व पर उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़


बिहार में छठ महापर्व भगवान सूर्य की उपासना का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार नहाय-खाय के साथ शुरू होता है। इस पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु प्रदेश के विभिन्न सूर्य मंदिरों में पूजा-अर्चना करने के लिए जुटते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण के पुत्र सांब ने द्वापर युग में 12 राशियों के आधार पर 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण करवाया था। इनमें से पांच मंदिर बिहार में स्थित हैं। यहां छठ महापर्व के अवसर पर विशेष श्रद्धा के साथ सूर्य देवता की पूजा की जाती है। आइए आज आपको बिहार के इन सूर्य मंदिरों के बारे में बताते हैं... 


बिहार के सूर्य मंदिरों से जुड़ी हैं विशेष कथाएं 


बिहार के सूर्य मंदिरों को लेकर कई कथाएं जुड़ी हुई हैं। उन्हीं में से एक के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गए थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए छठी मैया की आराधना की थी। 

वही एक अनुश्रुति के अनुसार महाभारत की समाप्ति के बाद पांचों पांडवों के साथ द्रौपदी ने पुत्र प्राप्ति और वंश को आगे बढ़ाने के लिए उलार्क स्थित ऐतिहासिक तालाब में स्नान कर भगवान सूर्य की उपासना की थी। कहा जाता है कि कालांतर में औरंगजेब ने इस मंदिर को दो बार ध्वस्त कर यहां की मूर्तियां तोड़ दी थीं। जिसका बाद में जीर्णोद्धार करवाया गया। 


कंदाहा सूर्य मंदिर:- सहरसा में स्थित यह विख्यात मंदिर मेष राशि के आधार पर बना है। इसे कर्नाट वंश के राजा हरिसिंह देव द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था।

देवार्क सूर्य मंदिर:- औरंगाबाद का यह पश्चिमाभिमुख मंदिर काफी अनोखा है। एक मान्यता के अनुसार इसका निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने सिर्फ एक रात में किया था। इसके अलावा इसे छठी मैया की कथा से भी जोड़ कर देखा जाता है।

उलार्क सूर्य मंदिर:- पटना के दुल्हिन बाजार में स्थित यह मंदिर काले पत्थर से निर्मित है। मुगल आक्रमण के दौरान इसे क्षति पहुंचाई गई थी। 

दक्षिणायन सूर्य मंदिर:- गया स्थित इस मंदिर की प्रतिमा सतयुग काल की मानी जाती है। यहां भगवान सूर्य के साथ शनि और यम भी विराजमान हैं। यहां भगवान सूर्य की प्रतिमा काले पत्थर की है। मान्यता है कि प्रतिमा की स्थापना गयासुर द्वारा की गई है। इसकी स्थापना के बारे में सूर्य पुराण और वायु पुराण में वर्णन है।

औंगारी सूर्य मंदिर:- नालंदा में स्थित यह मंदिर अपने पश्चिममुखी गर्भगृह के कारण विशेष है। यहां श्रद्धालु मनौती पूर्ण करने के लिए सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। एक प्रसिद्ध तालाब के तट पर स्थित यह सूर्य मंदिर बिहार की कला एवं संस्कृति को भी दर्शाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।