ये उत्सव बजरंग बाले का,
ये लाल लंगोटे वाले का,
वाह रे बजरंगी क्या कहना,
ऐ राम भक्त तेरा क्या कहना ॥
वो लांघ समुन्दर पार गया,
रावण की लंका जार गया,
लंका को जलाना क्या कहना,
रावण को डराना क्या कहना ॥
संजीवन बूटी लाने को,
लक्ष्मण के प्राण बचाने को,
पर्वत को उठाना क्या कहना,
लक्ष्मण को जिलाना क्या कहना ॥
श्री राम प्रभु को प्यारा है,
अहिरावण को जा मारा है,
ये राम दीवाना क्या कहना,
कहता है जमाना क्या कहना ॥
ये उत्सव बजरंग बाले का,
ये लाल लंगोटे वाले का,
वाह रे बजरंगी क्या कहना,
ऐ राम भक्त तेरा क्या कहना ॥
नई दुकान खोलना एक महत्वपूर्ण कदम है जिसमें आपके भविष्य की सफलता और समृद्धि की नींव रखी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, किसी भी नए उद्यम की शुरुआत करने से पहले शुभ मुहूर्त और तिथि का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है।
नई दुकान खोलना एक महत्वपूर्ण कदम है जिसमें आपके भविष्य की सफलता और समृद्धि की नींव रखी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, किसी भी नए उद्यम की शुरुआत करने से पहले शुभ मुहूर्त और तिथि का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है।