ये उत्सव बजरंग बाले का, ये लाल लंगोटे वाले का (Ye Utsav Bajrang Bala Ka Ye Lal Langote Wale Ka)

ये उत्सव बजरंग बाले का,

ये लाल लंगोटे वाले का,

वाह रे बजरंगी क्या कहना,

ऐ राम भक्त तेरा क्या कहना ॥


वो लांघ समुन्दर पार गया,

रावण की लंका जार गया,

लंका को जलाना क्या कहना,

रावण को डराना क्या कहना ॥


संजीवन बूटी लाने को,

लक्ष्मण के प्राण बचाने को,

पर्वत को उठाना क्या कहना,

लक्ष्मण को जिलाना क्या कहना ॥


श्री राम प्रभु को प्यारा है,

अहिरावण को जा मारा है,

ये राम दीवाना क्या कहना,

कहता है जमाना क्या कहना ॥


ये उत्सव बजरंग बाले का,

ये लाल लंगोटे वाले का,

वाह रे बजरंगी क्या कहना,

ऐ राम भक्त तेरा क्या कहना ॥

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हाजीपुर केलवा महँग भेल हे धनिया (Hajipur Kelwa Mahang Bhaile Dhaniya)

हाजीपुर केलवा महँग भेल हे धनिया
छोड़ी देहु आहे धनि छठी रे वरतिया

होलाष्टक में करें इन देवी-देवताओं की पूजा

होलाष्टक का समय फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा (होलिका दहन) तक रहता है। यह अवधि अशुभ मानी जाती है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।

अथार्गलास्तोत्रम् (Athargala Stotram)

पवित्र ग्रंथ दुर्गा सप्तशती में देवी अर्गला का पाठ देवी कवचम् के बाद और कीलकम् से पहले किया जाता है। अर्गला को शक्ति के रूप में व्यक्त किया जाता है और यह चण्डी पाठ का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

होलिका दहन के उपाय

होलिका दहन नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने और जीवन में खुशहाली लाने का प्रतीक माना जाता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से आर्थिक तंगी, शारीरिक बीमारियों और व्यापार में आ रही परेशानियां दूर हो सकती हैं।

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