ये मेरी अर्जी है: भजन (Ye Meri Arzi Hai)

ये मेरी अर्जी है,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


दोहा – मैंने कब कहा,

की मुझे दुनिया का माल दे,

लगी है फास दिल में निकाल दे

मुझ गरीब का तो श्याम,

इतना सवाल है,

जो कुछ समझ में आए,

मेरी झोली में डाल दे ॥


लफ्जो का टोटा है,

लफ्जो का टोटा है,

जिक्र प्यारे का,

अश्को से होता है,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


छम छम छम बारिश है,

छम छम छम बारिश है,

माहि घर आजा,

हर बून्द सिफारिश है,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


वो इतना प्यारा है,

वो इतना प्यारा है,

चाँद कहे उससे,

तू चाँद हमारा है,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


जग रोक ना पाएगा,

जग रोक ना पाएगा,

मीरा नाचेगी,

जब श्याम बुलाएगा,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


मेरा माहि गबरू है,

मेरा माहि गबरू है,

उसकी खुशबु से,

खुशबु में खुशबु है,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


ये मेरी अर्जी है,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥

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कितना रोई पार्वती, शिवनाथ के लिए (Kitna Roi Parvati Shivnath Ke Liye)

कितना रोई पार्वती,
शिवनाथ के लिए,

जय गणेश जय गजवदन, कृपा सिंधु भगवान (Jai Ganesh Jai Gajvadan Kripa Sindhu Bhagwan)

जय गणेश जय गजवदन,
कृपा सिंधु भगवान ।

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को (Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko)

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया,
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया। मेरे राम ॥

अप्रैल 2025 इष्टि-अन्वाधान

सनातन धर्म के परंपरा में अन्वाधान और इष्टि जैसे पर्व का विशेष महत्व है। ये दोनों वैष्णव संप्रदाय से जुड़े श्रद्धालुओं के अनुष्ठान हैं जो विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा और शुभ मुहूर्तों पर किए जाते हैं।

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