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सरलता, शीलता, शुचिता हों भूषण मेरे जीवन के।
सचाई, सादगी, श्रद्धा को मन साँचे में ढाला हो॥
॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥
मेरा वेदोक्त हो जीवन, बनूँ मैं धर्म-अनुरागी।
रहूँ आज्ञा में वेदों की, न हुक्मेवेद टाला हो॥
॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥
तेरी भक्ति में हे भगवन्, लगा दूँ अपना मैं तन-मन।
दिखावे के लिये हाथों में थैली हो, न माला हो॥
॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥
तजूँ सब खोटे कर्मों को, तजूँ दुर्वासनाओं को।
तेरे विज्ञान दीपक का मेरे मन में उजाला हो॥
॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥
पिला दे मोक्ष की घुट्टी, मरण-जीवन से हो छुट्टी।
विनय अन्तिम ये सेवक की अगर मंजूरे वाला हो॥
यही है प्रार्थना प्रभुवर! जीवन ये निराला हो।
परोपकारी, सदाचारी व लम्बी आयुवालो हो॥
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