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वादा कर ले भोलेनाथ, छोड़ोगे ना हाथ (Wada Kar Le Bholenath Chodoge Na Hath)

वादा कर ले भोलेनाथ, छोड़ोगे ना हाथ  (Wada Kar Le Bholenath Chodoge Na Hath)

वादा कर ले भोलेनाथ,

छोड़ोगे ना हाथ,

ये साँस चलेगी जब तक,

ये साँस चलेगी जब तक,

तू रहेगा मेरे साथ,

वादा कर लो भोलेनाथ,

छोड़ोगे ना हाथ ॥


इसी जनम की जानू बाबा,

आगे का किसने देखा,

तेरी किरपा रहे जो मुझ पर,

बदले जन्मों की रेखा,

ये जीवन सुधर गया तो,

ये जीवन सुधर गया तो,

करूँ अगले जनम की बात,

वादा कर लो भोलेनाथ,

छोड़ोगे ना हाथ ॥


तेरा साथ रहे तो बाबा,

भव से मैं तर जाऊंगा,

जनम मरण के इन फंदो से,

मुक्ति मैं पा जाऊंगा,

बस एक दफा तू धर दे,

बस एक दफा तू धर दे,

तेरी किरपा का हाथ,

वादा कर लो भोलेनाथ,

छोड़ोगे ना हाथ ॥


अंत समय सांसो के सुर में,

भोले गीत तुम्हारे हो,

‘हर्ष’ मेरी आंखों के आगे,

तुम ही मीत हमारे हो,

ये जीवन सफल बना दे,

ये जीवन सफल बना दे,

बस इतनी है फरियाद,

वादा कर लो भोलेनाथ,

छोड़ोगे ना हाथ ॥


वादा कर ले भोलेनाथ,

छोड़ोगे ना हाथ,

ये साँस चलेगी जब तक,

ये साँस चलेगी जब तक,

तू रहेगा मेरे साथ,

वादा कर लो भोलेनाथ,

छोड़ोगे ना हाथ ॥

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आमलकी एकादशी पूजा विधि

फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है।

आमलकी एकादशी पौराणिक कथा

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी के अलावा आंवला एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन आंवले पेड़ की उत्तपति हुई थी।

आमलकी एकादशी पर आंवल के उपाय

हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी मनाई जाती है। आमलकी एकादशी का व्रत स्त्री और पुरुष दोनों रखते हैं। इस शुभ अवसर पर साधक व्रत रख भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा करते हैं।

नरसिंह द्वादशी व्रत विधि

नरसिंह द्वादशी सनातनियों का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने रौद्र रूप में अवतार लिया था, जिन्हें लोग आज नरसिंह भगवान के रूप में पूजते हैं।

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