विसर्जन को चलीं रे, चली रे मोरी मैया (Visarjan Ko Chali Re Chali Mori Maiya)

विसर्जन को चली रे,
चली रे मोरी मैया,
विदाई से आज मोरी,
विदाई से आज मोरी,
भर आई है अखियां,
विसर्जन को चलीं रे,
चली रे मोरी मैया ॥

नौ दिन माई तेरी सेवा में बीते,
अब कैसे विरहा की ये रैन बीते,
नौ दिन माई तेरी सेवा में बीते,
तुझ बिन लगेगी माई,
सुनी सुनी गलियां,
विसर्जन को चलीं रे,
चली रे मोरी मैया ॥

आज चली रे धाम भवानी,
सुना करके आज भवानी,
आज चली रे धाम भवानी,
जाए सही ना माई,
विरहा की घड़ियाँ,
विसर्जन को चलीं रे,
चली रे मोरी मैया ॥

रो रो कर करते है विदाई,
अगले बरस फिर आना है माई,
रो रो कर करते है विदाई,
तुझसे बिछड़ के मैया,
बन ना जाऊं मैं जोगनिया,
विसर्जन को चलीं रे,
चली रे मोरी मैया ॥

विसर्जन को चली रे,
चली रे मोरी मैया,
विदाई से आज मोरी,
विदाई से आज मोरी,
भर आई है अखियां,
विसर्जन को चलीं रे,
चली रे मोरी मैया ॥

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क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?

सनातन धर्म में एकादशी व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इसी दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।

बंसी बजाय गयो श्याम (Bansi Bajaye Gayo Shyam)

बंसी बजाय गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,

शिव जी बिहाने चले, पालकी सजाई के (Shiv Ji Bihane Chale Paalki Sajaaye Ke)

शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाई के,

करें भगत हो आरती माई दोई बिरियां

सदा भवानी दाहनी।
सदा भवानी दाहनी, सम्मुख रहें गणेश।
पांच देव रक्षा करें,
ब्रह्मा, विष्णु, महेश।

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