वन में चले रघुराई (Van Me Chale Raghurai )

वन में चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


आगे आगे राम चले है,

पीछे लक्ष्मण भाई,

जिनके बिच में चले जानकी,

शोभा बरनी न जाई,

वन को चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


राम बिना मेरी सुनी रे अयोध्या,

लक्ष्मण बिन चतुराई,

सीता बिना सुनी रे रसोई,

कौन करे ठकुराई,

वन को चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


सावन बरसे भादव गरजे,

पवन चले पुरवाई,

कौन बिरख निचे भीजत होंगे,

राम लखन दो भाई,

वन को चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


रावण मार राम घर आये,

घर घर बंटती बधाई,

माता कौशल्या करत आरती,

शोभा बरनी न जाई,

वन को चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


वन में चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥

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माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही हैं(Maa Sharde Kaha Tu Veena Baja Rahi Hain)

माँ शारदे कहाँ तू,
वीणा बजा रही हैं,

वो काला एक बांसुरी वाला (Wo Kala Ek Bansuri Wala)

वो काला एक बांसुरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरी रे ।

जरा चलके अयोध्या जी में देखों (Jara Chalke Ayodhya Ji Me Dekho)

जरा चल के अयोध्या जी में देखो,
राम सरयू नहाते मिलेंगे ॥

शुक्र प्रदोष व्रत पर राशिवार क्या दान करें?

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। 2024 में शुक्रवार, 13 दिसंबर को शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ अवसर है।

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