ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है,
निचे हम रहते,
ऊपर मैया जी का डेरा है,
ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है ॥
मैया जी के द्वारे पे,
अँधा पुकार रहा,
अंधे को आँखे दो,
उसे तेरा ही सहारा है,
ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है ॥
मैया जी के द्वारे पे,
कोढ़ी पुकार रहा,
कोढ़ी को काया दो,
उसे तेरा ही सहारा है,
ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है ॥
मैया जी के द्वारे पे,
निर्धन पुकार रहा,
निर्धन को माया दो,
उसे तेरा ही सहारा है,
ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है ॥
मैया जी के द्वारे पे,
बांझन पुकार रही,
बांझन को संतान दो,
उसे तेरा ही सहारा है,
ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है ॥
मैया जी के द्वारे पे,
कन्या पुकार रही,
कन्या को वर घर दो,
उसे तेरा ही सहारा है,
ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है ॥
मैया जी के द्वारे पे,
भगत पुकार रहे,
भक्तो को दर्शन दो,
उन्हें तेरा ही सहारा है,
ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है ॥
ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है,
निचे हम रहते,
ऊपर मैया जी का डेरा है,
ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे,
मैया जी का बसेरा है ॥
महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। इस पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम तट पर एकत्र होने के लिए तैयार हैं। यदि आप भी इस आध्यात्मिक महासमागम का हिस्सा बनने जा रहे हैं, तो प्रयागराज के इन 5 प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करना न भूलें।
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है। प्रयाग को हिंदू धर्म में तीर्थों का राजा कहा जाता है। यह शहर हजारों मंदिरों के साथ ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं का केंद्र भी रहा है। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु मोक्ष प्राप्ती के लिए आते हैं।
हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है। यह हिंदू धर्म के लोगों का सबसे बड़ा समागम है। इसे आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था का पर्व कहा जाता है। महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु विभिन्न तीर्थों में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं ।
महाकुंभ 2025 की शुरुआत प्रयागराज में हो रही है। इसके लिए साधु-संत भी पहुंच गए हैं। इनमें से कई साधु संत श्रद्धालुओें के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। खासकर नागा साधुओं को देखने के लिए बड़ी भीड़ उमड़ रही है। बता दें कि नागा साधु सनातन धर्म के एक विशेष और रहस्यमय संप्रदाय है।