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उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छूट जाते हैं,
सहरों का बरोसा क्या
तू संबल नाम का लेकर,
किनारों से किनारा कर
किनारे टूट जाते हैं,
किनारो का भरोसा क्या
उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छूट जाते हैं,
सहरों का बरोसा क्या
पथिक तू अक्लमंदी पर,
बिचारो पर ना इतराना
कहाँ कब मन बिगड़ जाये,
बिचारो का भरोसा क्या
उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छूट जाते हैं,
सहरों का बरोसा क्या
उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छूट जाते हैं,
सहरों का बरोसा क्या
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