उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छूट जाते हैं,
सहरों का बरोसा क्या
तू संबल नाम का लेकर,
किनारों से किनारा कर
किनारे टूट जाते हैं,
किनारो का भरोसा क्या
उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छूट जाते हैं,
सहरों का बरोसा क्या
पथिक तू अक्लमंदी पर,
बिचारो पर ना इतराना
कहाँ कब मन बिगड़ जाये,
बिचारो का भरोसा क्या
उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छूट जाते हैं,
सहरों का बरोसा क्या
उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छूट जाते हैं,
सहरों का बरोसा क्या
होलाष्टक फागुन मास के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक मनाया जाता है। पुराणिक कथाओं के अनुसार ये 8 दिन किसी शुभ कार्य के लिए उचित नहीं माने जाते I
होलाष्टक की तिथि शुभ कार्य के लिए उचित नहीं मानी जाती है, इन तिथियों के अनुसार इस समय कुछ कार्य करने से सख्त मनाही होती है। क्योंकि इन्हीं दिनों में भक्त प्रह्लाद पर उनके पिता हिरण्यकश्यप ने बहुत अत्याचार किया था।
होलाष्टक की तिथि माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक होती है। यह समय पुराणिक कथाओं के अनुसार महत्वपूर्ण माना जाता है I
फाल्गुन मास का प्रारंभ होते ही हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं। फाल्गुन मास में मनाए जाने वाला रंगों का त्यौहार जिसे हम होली कहते हैं।