तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है(Tum Utho Siya Singar Karo Shiv Dhanush Ram Ne Toda Hai)

तुम उठो सिया सिंगार करो,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है,

सीता से नाता जोड़ा है,

तुम उठो सिया सिंगार करों,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥


शीश सिया के चुनर सोहे,

टिके की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये,

रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करों,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥


हाथ सिया के चूड़ी सोहे,

कंगन की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये,

रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करों,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥


कमर सिया के तगड़ी सोहे,

झुमके की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये,

रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करों,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥


पैर सिया के पायल सोहे,

बिछिया की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये,

रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करों,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥


तुम उठो सिया सिंगार करो,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है,

सीता से नाता जोड़ा है,

तुम उठो सिया सिंगार करों,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥

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गुरू प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। हर महीने दो प्रदोष व्रत और पूरे साल में 24 व्रत होते हैं।

आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया (Aaj Mithila Nagariya Nihar Sakhiya)

आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे (Uth Khada Ho Lakshman Bhayia Ji Na Lage)

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे,
लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥

तुम करुणा के सागर हो प्रभु (Tum Karuna Ke Sagar Ho Prabhu)

तुम करुणा के सागर हो प्रभु
मेरी गागर भर दो थके पाँव है

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