थारो खूब सज्यो दरबार, म्हारा बालाजी सरकार (Tharo Khub Sajyo Darbar Mhara Balaji Sarkar)

थारो खूब सज्यो दरबार,

म्हारा बालाजी सरकार,

मैं तो आया दर्शन ताइ,

बाला झट आवो दरबार,

बेगा आओ नि बालासा,

थाने अर्ज अपार ॥


बाला तन में सिंदूर धार,

थारे मुख में नागर पान,

थारे हाथ में घोटो धार बाला,

शोभा अपरम्पार,

बेगा आओ नि बालासा,

थाने अर्ज अपार ॥


बाला में हाथां में करताल,

काना में कुण्डल धार,

सदा राम राम गुण गाए बाला,

प्रभु ने रिझाए,

बेगा आओ नि बालासा,

थाने अर्ज अपार ॥


माता अंजनी रा लाल,

बाबा पवनपुत्र हनुमान,

थारी शोभा जग में न्यारी बाला,

जो ध्याए फल पाए,

बेगा आओ नि बालासा,

थाने अर्ज अपार ॥


थारे ‘भगवत’ महिमा गाए,

चरणों में शीश नवाएँ,

म्हारा बालाजी सरकार,

थाने विनती बारम्बार,

बेगा आओ नि बालासा,

थाने अर्ज अपार ॥


थारो खूब सज्यो दरबार,

म्हारा बालाजी सरकार,

मैं तो आया दर्शन ताइ,

बाला झट आवो दरबार,

बेगा आओ नि बालासा,

थाने अर्ज अपार ॥

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प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी (Pyara Saja Hai Tera Dwar Bhawani)

दरबार तेरा दरबारों में इक खास एहमियत रखता है
उसको वैसा मिल जाता है जो जैसी नीयत रखता है

होता है सारे विश्व का, कल्याण यज्ञ से (Hota Hai Sare Vishwa Ka Kalyan Yajya Se)

होता है सारे विश्व का,
कल्याण यज्ञ से ।

रूक्मिणी-श्रीकृष्ण के विवाह से जुड़ी कथा

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो इस साल 22 दिसंबर को पड़ रही है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है।

मैया ना भुलाना, हमको (Maiya Na Bhulana Humko )

मैया ना भुलाना,
हमको ना भुलाना,

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