थारी जय जो पवन कुमार (Thari Jai Ho Pavan Kumar Balihari Jaun Balaji)

लाल लंगोटो हाथ मे सोटो,

थारी जय जो पवन कुमार,

मैं वारि जाऊँ बालाजी,

बलिहारी जाऊँ बालाजी॥


सालासर थारो देवरो है बाबा,

मेहंदीपुर भी थारो देवरो बाबा,

थारे नोबत बाजे द्वार,

मैं वारि जाऊँ बालाजी॥


चैत्र सुदी पूनम को मेलो,

चैत्र सुदी पूनम को मेलो,

थारे आये भगत अपार,

मैं वारि जाऊँ बालाजी॥


तेल सिंदूर चढ़े तन ऊपर,

तेल सिंदूर चढ़े तन ऊपर,

कोई मंगल और शनिवार,

मैं वारि जाऊँ बालाजी॥


गठ जोड़े की जात जड़ूला,

गठ जोड़े की जात जड़ूला,

देवे लाखो ही नर नार,

मैं वारि जाऊँ बालाजी॥


ध्वजा नारियल चढे चूरमो,

ध्वजा नारियल चढे चूरमो,

सर पे छतर हजार,

मैं वारि जाऊँ बालाजी॥


घृत सिंदूर चढ़ावे थाने,

घृत सिंदूर चढ़ावे थाने,

मंगल और शनिवार,

मैं वारि जाऊँ बालाजी॥


भक्तो का थे संकट काटो,

भक्तो का थे संकट काटो,

थारी महिमा अपरम्पार,

मैं वारि जाऊँ बालाजी॥


लाल लंगोटो हाथ मे सोटो,

थारी जय जो पवन कुमार,

मैं वारि जाऊँ बालाजी,

बलिहारी जाऊँ बालाजी॥

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अथ श्री देव्याः कवचम् (Ath Shree Devya Kavacham)

देव्याः कवचम् का अर्थात देवी कवच यानी रक्षा करने वाला ढाल होता है ये व्यक्ति के शरीर के चारों ओर एक प्रकार का आवरण बना देता है, जिससे नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।

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ये उत्सव बजरंग बाले का, ये लाल लंगोटे वाले का (Ye Utsav Bajrang Bala Ka Ye Lal Langote Wale Ka)

ये उत्सव बजरंग बाले का,
ये लाल लंगोटे वाले का,

विवाह पंचमी क्यों मनाई जाती है

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है।

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