था बिन दीनानाथ आंगली कुण पकड़सी जी(Tha Bin Dheenanath Aangli Kun Pakadsi Ji)

था बिन दीनानाथ,

आंगली कुण पकड़सी जी,

कुण पकड़सी जी सांवरा,

कुण पकड़सी जी,

था बिन दिनानाथ,

आंगली कुण पकड़सी जी,

म्हारी पीड़ हरो घनश्याम आज,

थाने आया सरसी जी,

था बिन दिनानाथ,

आंगली कुण पकड़सी जी ॥


था बिन म्हारे सिर पर बाबा,

कुंण तो हाथ फिरावे है,

सगळा मुंडो फेर के बैठ्या,

कुंण तो साथ निभावे है,

मजधारा सु बेडो कईया,

मजधारा सु बेडो कईया,

पार उतरसी जी,

था बिन दिनानाथ,

आंगली कुण पकड़सी जी ॥


म्हारी हालत सेठ सांवरा,

थासु कोन्या छानी रे,

एक बार थे पलक उघाड़ो,

देखो म्हारे कानि रे,

थारे देख्या बिगड़ी म्हारी,

थारे देख्या बिगड़ी म्हारी,

श्याम सुधरसी जी,

था बिन दिनानाथ,

आंगली कुण पकड़सी जी ॥


आंख्या सामी घोर अंधेरो,

कुछ ना सूझे आगे श्याम,

ईब के होसी सोच सोच के,

म्हाने तो डर लागे श्याम,

‘हर्ष’ म्हारे आगे को रस्तो,

‘हर्ष’ म्हारे आगे को रस्तो,

श्याम ही करसी जी,

था बिन दिनानाथ,

आंगली कुण पकड़सी जी ॥


था बिन दीनानाथ,

आंगली कुण पकड़सी जी,

कुण पकड़सी जी सांवरा,

कुण पकड़सी जी,

था बिन दिनानाथ,

आंगली कुण पकड़सी जी,

म्हारी पीड़ हरो घनश्याम आज,

थाने आया सरसी जी,

था बिन दिनानाथ,

आंगली कुण पकड़सी जी ॥

........................................................................................................
हम आये है तेरे द्वार, गिरजा के ललना (Hum Aaye Hai Tere Dwar Girija Ke Lalna)

हम आये है तेरे द्वार,
गिरजा के ललना,

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प‌द्मा एकादशी (Aashaadh Shukla Paksh Ki Padma Ekaadashi)

युधिष्ठिर ने कहा-हे भगवन् ! आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम और क्या माहात्म्य है और उस दिन किस देवता की पूजा किस विधि से करनी चाहिए? कृपया यह बतलाइये।

श्री नर्मदा चालीसा (Shri Narmada Chalisa)

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

महामंत्र शिवजी का, हमें प्यारा लागे - भजन (Mahamantra Shivji Ka Hame Pyara Lage)

महामंत्र शिवजी का,
हमें प्यारा लागे ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने