तेरे दर्शन को गणराजा ॥
दोहा – नसीब वालों को हे गणराजा,
तेरा दीदार होता है,
जिसपे होता है नजरेकरम,
उसका बेडा पार होता है ॥
तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए है,
तेरे दरबार आए है,
तेरे दरबार आए है,
तेरे दरशन को गणराजा,
तेरे दरबार आए है ॥
सुना है मैंने गणराया,
तुम्हे लड्डू ही भाते है,
सुना है मैंने गणराया,
तुम्हे लड्डू ही भाते है,
तुम्हारे भोग में भगवन,
हाँ लड्डू साथ लाए है,
तेरे दरशन को गणराजा,
तेरे दरबार आए है ॥
तुम्हे दूर्वा सदा चढ़ती,
लोग ऐसा सदा करते,
तुम्हे दूर्वा सदा चढ़ती,
लोग ऐसा सदा करते,
बेल पाती के संग संग में,
हाँ दूर्वा हार लाए है,
तेरे दरशन को गणराजा,
तेरे दरबार आए है ॥
तुम्हे वस्त्रों में पीताम्बर,
पहनते हमने देखा है,
तुम्हे वस्त्रों में पीताम्बर,
पहनते हमने देखा है,
की दरजी से भी सिलवाकर,
तुम्हारे वस्त्र लाए है,
तेरे दरशन को गणराजा,
तेरे दरबार आए है ॥
सुना है ताजे फूलों के,
तुम्हे गजरे सुहाते है,
सुना है ताजे फूलों के,
तुम्हे गजरे सुहाते है,
बागों से ‘सुमन योगी’,
सुगन्धित फुल लाए है,
तेरे दरशन को गणराजा,
तेरे दरबार आए है ॥
तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए है,
तेरे दरबार आए है,
तेरे दरबार आए है,
तेरे दरशन को गणराजा,
तेरे दरबार आए है ॥
गंगा दशहरा, इस वर्ष 5 जून को मनाया जाएगा। यह पर्व गंगा मैया के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है और इस दिन का विशेष महत्व गंगा स्नान और दान-पुण्य के लिए होता है।
गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से जुड़ा पर्व है, जिसे ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
गंगा दशहरा का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। यह पर्व गंगा मैया के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है और इस दिन का विशेष महत्व गंगा स्नान, दान-पुण्य और पितृ तर्पण से जुड़ा होता है।
गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पुण्य और पावन पर्व है, जिसे ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन देवी गंगा के स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है।