तेरे चरणों में सर को, झुकाता रहूं(Tere Charno Mein Sir Ko Jhukata Rahu)

तेरे चरणों में सर को,

झुकाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


मैंने बचपन से,

तुझको ही जाना है,

तेरा मेरा ये,

रिश्ता पुराना है,

तुझे दिल की,

हकीकत सुनाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


तूने अपना बनाया,

ये एहसान है,

तेरी किरपा से ही,

मेरी पहचान है,

तेरे भक्तो से,

प्रेम बढाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


‘बिन्नू’ कहता है,

प्रभु धन्यवाद तुझे,

तुम बुलाया करो,

श्याम दर पे मुझे,

यूँ ही तेरे तराने,

मैं गाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


तेरे चरणों में सर को,

झुकाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥

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मैं हार गया जग से, अब तुमको पुकारा है (Main Haar Gaya Jag Se Ab Tumko Pukara Hai)

मैं हार गया जग से,
अब तुमको पुकारा है,

भीष्म अष्टमी की पूजा विधि

सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का विशेष महत्व माना गया है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘भीष्म अष्टमी’ कहा जाता है।

तेरे द्वार पे आने वालो ने, क्या अजब नज़ारा देखा है (Tere Dawar Pe Aane Walon Ne Kya Ajab Nazara Dekha Hai)

तेरे द्वार पे आने वालो ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है,

गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa)

प्रथम वंदनीय गणेशजी को समर्पित मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व है।

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