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तेरे चरणों में सर को,
झुकाता रहूं,
तू बुलाता रहे,
और मैं आता रहूं ॥
मैंने बचपन से,
तुझको ही जाना है,
तेरा मेरा ये,
रिश्ता पुराना है,
तुझे दिल की,
हकीकत सुनाता रहूं,
तू बुलाता रहे,
और मैं आता रहूं ॥
तूने अपना बनाया,
ये एहसान है,
तेरी किरपा से ही,
मेरी पहचान है,
तेरे भक्तो से,
प्रेम बढाता रहूं,
तू बुलाता रहे,
और मैं आता रहूं ॥
‘बिन्नू’ कहता है,
प्रभु धन्यवाद तुझे,
तुम बुलाया करो,
श्याम दर पे मुझे,
यूँ ही तेरे तराने,
मैं गाता रहूं,
तू बुलाता रहे,
और मैं आता रहूं ॥
तेरे चरणों में सर को,
झुकाता रहूं,
तू बुलाता रहे,
और मैं आता रहूं ॥
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