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तेरे चरणों में सर को, झुकाता रहूं(Tere Charno Mein Sir Ko Jhukata Rahu)

तेरे चरणों में सर को, झुकाता रहूं(Tere Charno Mein Sir Ko Jhukata Rahu)

तेरे चरणों में सर को,

झुकाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


मैंने बचपन से,

तुझको ही जाना है,

तेरा मेरा ये,

रिश्ता पुराना है,

तुझे दिल की,

हकीकत सुनाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


तूने अपना बनाया,

ये एहसान है,

तेरी किरपा से ही,

मेरी पहचान है,

तेरे भक्तो से,

प्रेम बढाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


‘बिन्नू’ कहता है,

प्रभु धन्यवाद तुझे,

तुम बुलाया करो,

श्याम दर पे मुझे,

यूँ ही तेरे तराने,

मैं गाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


तेरे चरणों में सर को,

झुकाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥

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षटतिला एकादशी में तुलसी का महत्व

हिंदू धर्म में पूरे साल में आने वाली सभी 24 एकादशियों में से प्रत्येक को विशेष माना जाता है। उन्हीं में से एक षटतिला एकादशी है। माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी कहते हैं।

षटतिला एकादशी: विष्णु और नारद प्रसंग

हिंदू धर्म में, यूं तो प्रत्येक एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। पर षटतिला एकादशी उन सब में भी विशेष मानी जाती है। 2025 में, षटतिला एकादशी का व्रत 25 जनवरी को है। इस दिन पूजा और व्रत करने से साधक को मोक्ष प्राप्त होती है।

षटतिला एकादशी व्रत कथा

सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पंचांग के अनुसार, माघ महीने की एकादशी तिथि को ही षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से का विधान है।

षटतिला एकादशी पर तिल के उपाय

षटतिला एकादशी माघ महीने में पड़ती है और इस साल यह तिथि 25 जनवरी को है। षटतिला का अर्थ ही छह तिल होता है। इसलिए, इस एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है।

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