तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे(Tere Bina Shyam Hamara Nahi Koi Re)

तेरे बिना श्याम,

हमारा नहीं कोई रे,

हमारा नहीं कोई रे,

सहारा नहीं कोई रे,

तेरें बिना श्याम,

हमारा नहीं कोई रे ॥


अमुवा की डाली पे

पिंजरा टंगाया,

उड गया सूवा,

पढ़ाया नहीं कोई रे,

तेरें बिना श्याम,

हमारा नहीं कोई रे ॥


गहरी गहरी नदियाँ,

नाव पुरानी,

डूबण लागी नाव,

बचाया नहीं कोई रे,

तेरें बिना श्याम,

हमारा नहीं कोई रे ॥


भाई और बंधू,

कुटुम्ब कबीलो,

बिगड़ी जो बात,

बनाया नहीं कोई रे,

तेरें बिना श्याम,

हमारा नहीं कोई रे ॥


कहत कबीर,

सुनो भाई साधो,

गुरु बिन ज्ञान,

सिखाया नहीं कोई रे,

तेरें बिना श्याम,

हमारा नहीं कोई रे ॥


तेरे बिना श्याम,

हमारा नहीं कोई रे,

हमारा नहीं कोई रे,

सहारा नहीं कोई रे,

तेरें बिना श्याम,

हमारा नहीं कोई रे ॥

........................................................................................................
ओ माँ पहाड़ावालिये, सुन ले मेरा तराना (O Maa Pahadan Waliye Sun Le Mera Tarana)

ओ माँ पहाड़ावालिये,
सुन ले मेरा तराना ॥

तन रंगा मेरा मन रंगा (Tan Ranga Mera Mann Ranga)

तन रंगा मेरा मन रंगा,
इस रंग में अंग अंग रंगा,

शिव पूजा में मन लीन रहे मेरा (Shiv Puja Mai Mann Leen Rahe Mera)

शिव पूजा में मन लीन रहे,
मेरा मस्तक हो और द्वार तेरा ।

भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंदिर

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक चंद्र मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए भक्त हर महीने इस तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने