सुनो भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
शरण में बैठे है माँ तुम्हारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
ये अपना जीवन तेरी अमानत,
तू ही है जननी तू ही है पालक,
तेरे चरण के है हम पुजारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
सुनों भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
कहे तुम्हे सब दया का सागर,
लुटा दो ममता गले लगाकर,
भुला दो सारी खता हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
सुनों भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
तेरे सिवा हम किसे पुकारे,
ये नैन केवल तुम्हे निहारे,
तुम्ही पे आशा टिकी हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
सुनों भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
जो ‘सोनू’ कर दे तू एक इशारा,
संवर ही जाए जनम हमारा,
मिटा दो बाधा माँ जग की सारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
सुनों भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
सुनो भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
शरण में बैठे है माँ तुम्हारी,
दया करो माँ कृपा करो मा ॥
साल में चार नवरात्रि पड़ती है। गुप्त नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा देवी के भक्तों के लिए बुहत खास होता है।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का काफी महत्व है। ऐसे में आषाढ़ नवरात्र की शुरुआत 6 जुलाई 2024 से हो रही है जिसका समापन 15 जुलाई को होगा।
सनातन परंपरा के अनुसार पृथ्वी पर जहां-जहां सती के अंग या फिर उनसे जुड़ी चीजें वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां- वहां शक्तिपीठ बन गए।
गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है।