सुनलो बाबा बजरंगी, मैं कैसे तुझे रिझाऊं (Sunlo Baba Bajrangi Main Kaise Tujhe Rijhaun)

सुनलो बाबा बजरंगी,

मैं कैसे तुझे रिझाऊं,

चरणों में मुझे बिठा लो,

मैं तुमसे इतना चाहूँ,

राम सियाराम सियाराम सियाराम,

राम सियाराम सियाराम सियाराम ॥


इस जग में भटक रहा हूँ,

मैं दर दर मारा मारा,

फिर तेरे दर पर आकर,

मुझको है मिला सहारा,

उपकार किये तुम इतने,

मैं कैसे तुझे गिनाऊँ,

चरणों में मुझे बिठा लो,

मैं तुमसे इतना चाहूँ,

राम सियाराम सियाराम सियाराम,

राम सियाराम सियाराम सियाराम ॥


कोई खीर चूरमा लावे,

कोई सवा मणि करवावे,

कोई छप्पन भोग लगाकर,

मेरे बाबा तुझे रिझावे,

मैं तो निर्धन हूँ बाबा,

दो आंसू ही भेंट चढ़ाऊँ,

चरणों में मुझे बिठा लो,

मैं तुमसे इतना चाहूँ,

राम सियाराम सियाराम सियाराम,

राम सियाराम सियाराम सियाराम ॥


हो संकट मोचन तुम ही,

संकट से मुझे उबारो,

आये दर दीन दुखी को,

भव सागर से तुम तारो,

‘दीपक’ दरबार में तेरे,

आकर के प्रभु जगाऊँ,

चरणों में मुझे बिठा लो,

मैं तुमसे इतना चाहूँ,

राम सियाराम सियाराम सियाराम,

राम सियाराम सियाराम सियाराम ॥


सुनलो बाबा बजरंगी,

मैं कैसे तुझे रिझाऊं,

चरणों में मुझे बिठा लो,

मैं तुमसे इतना चाहूँ,

राम सियाराम सियाराम सियाराम,

राम सियाराम सियाराम सियाराम ॥

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बैल की सवारी करे डमरू बजाये (Bail Ki Sawari Kare Damroo Bajaye)

बैल की सवारी करे डमरू बजाये
जग के ताप हरे सुख बरसाये

कनक भवन दरवाजे पड़े रहो (Kanak Bhawan Darwaje Pade Raho)

प्रभु श्रीसीतारामजी काटो कठिन कलेश
कनक भवन के द्वार पे परयो दीन राजेश

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।

ओ शंकर भोले, जपती मैं तुमको हरदम (O Shankar Bhole Japti Main Tumko Hardam)

ओ शंकर भोले,
जपती मैं तुमको हरदम,

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