सीता के राम थे रखवाले, जब हरण हुआ तब कोई नहीं: भजन (Sita Ke Ram The Rakhwale Jab Haran Hua Tab Koi Nahi)

सीता के राम थे रखवाले,

जब हरण हुआ तब कोई नहीं ॥


द्रोपदी के पांचो पांडव थे,

जब चीर हरण तब कोई नहीं,

दशरथ के चार दुलारे थे,

जब प्राण तजे कब कोई नहीं ॥


रावण भी बड़े शक्तिशाली थे,

जब लंका जली तब कोई नहीं,

श्री कृष्ण सुदर्शन धारी थे,

जब तीर चुभा तब कोई नहीं ॥


लक्ष्मण जी भी भारी योद्धा थे,

जब शक्ति लगी तब कोई नहीं,

सर शय्या पे पड़े पितामह थे,

पीड़ा का सांझी कोई नहीं ॥


अभिमन्यु राज दुलारे थे,

पर चक्रव्यूह में कोई नहीं,

सच है ‘देवेंद्र’ दुनिया वाले,

संसार में अपना कोई नहीं ॥


सीता के राम थे रखवाले,

जब हरण हुआ तब कोई नहीं ॥

........................................................................................................
जगदाती पहाड़ों वाली माँ, मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ (Jagdati Pahado Wali Maa Meri Bigdi Banane Aa Jao)

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

ओम अनेक बार बोल (Om Anek Bar Bol Prem Ke Prayogi)

ओम अनेक बार बोल, प्रेम के प्रयोगी।
है यही अनादि नाद, निर्विकल्प निर्विवाद।

शिवशंकर जी की आरती

सत्य, सनातन, सुंदर, शिव! सबके स्वामी ।
अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी ॥

मेरो गोपाल झूले पलना (Mero Gopal Jhule Palna)

मेरो गोपाल झूले पलना,
मदन गोपाल झूले पलना,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।