शिव शंकर भोलेनाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,
शिवशंकर भोलेनाथ ओ नाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे ॥
तेरा नीलकंठ पे धाम बना,
जहाँ सबका बिगड़ा काम बना,
तेरा नीलकंठ पे धाम बना,
जहाँ सबका बिगड़ा काम बना,
सारे जग की रखले बात,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,
शिवशंकर भोलेनाथ ओ नाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे ॥
तेरे जैसा औघड़ दानी ना,
तेरे जैसा कोई वरदानी ना,
तेरे जैसा औघड़ दानी ना,
तेरे जैसा कोई वरदानी ना,
मेरे भोले पिता मात,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,
शिवशंकर भोलेनाथ ओ नाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे ॥
तेरा सबसे रूप निराला है,
तू तो जोगी बड़ा मतवाला है,
तेरा सबसे रूप निराला है,
तू तो जोगी बड़ा मतवाला है,
तेरा पूजन हो दिन रात,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,
शिवशंकर भोलेनाथ ओ नाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे ॥
शिव शंकर भोलेनाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,
शिवशंकर भोलेनाथ ओ नाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे ॥
सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा विशेष है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है और इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को होगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है।
गोवर्धन पूजा के दिन भक्त गोवर्धन महाराज की नाभि पर दीपक जलाते हैं। इस प्रथा के पीछे भगवान कृष्ण से जुड़ी एक रोचक कथा है।
भाई दूज का पर्व पांच दिवसीय दीपोत्सव का अंतिम दिन है। जिसे कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई का तिलक करती हैं, यमराज की पूजा करती हैं और उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं।
माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ है। इन्हें देवताओं के मुख्य लेखपाल और यम के सहायक के रूप में पूजा जाता है।