शिव की जटा से बरसे, गंगा की धार है (Shiv Ki Jata Se Barse Ganga Ki Dhar Hai)

शिव की जटा से बरसे,

गंगा की धार है,

गंगा की धार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥


कावड़िये भर भर के,

चढाने कावड़ निकले है,

हर जुबां से बम बम के,

जय जयकारे निकले है,

शिवमय हुआ है देखो,

सारा संसार है,

सारा संसार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥


भोले की भक्ति में,

झूम रहे नर और नारी है,

अभिषेक करने को,

भीड़ पड़ी भी भारी है,

सजा है शिवालय देखो,

आज सोमवार है,

आज सोमवार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥


मेरा भोला बाबा है,

इनके भक्त सभी प्यारे,

इक लौटा जल से ही,

कर दे ये वारे न्यारे,

‘राघव’ मिला है जो भी,

बाबा का प्यार है,

बाबा का प्यार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥


शिव की जटा से बरसे,

गंगा की धार है,

गंगा की धार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥

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राम को देखकर श्री जनक नंदिनी (Ram Ko Dekh Kar Shri Janak Nandini)

राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी, बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं

शिव शम्भू सा निराला, कोई देवता नहीं है (Shiv Shambhu Sa Nirala Koi Devta Nahi Hai)

शिव शम्भू सा निराला,
कोई देवता नहीं है,

षटतिला एकादशी व्रत कथा

सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पंचांग के अनुसार, माघ महीने की एकादशी तिथि को ही षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से का विधान है।

राम सिया राम, कौशल्या, दशरथ के नंदन - भजन (Ram Siya Ram, Kaushalya Dashrath Ke Nandan)

कौशल्या, दशरथ के नंदन
राम ललाट पे शोभित चन्दन

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