शिव की जटा से बरसे, गंगा की धार है (Shiv Ki Jata Se Barse Ganga Ki Dhar Hai)

शिव की जटा से बरसे,

गंगा की धार है,

गंगा की धार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥


कावड़िये भर भर के,

चढाने कावड़ निकले है,

हर जुबां से बम बम के,

जय जयकारे निकले है,

शिवमय हुआ है देखो,

सारा संसार है,

सारा संसार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥


भोले की भक्ति में,

झूम रहे नर और नारी है,

अभिषेक करने को,

भीड़ पड़ी भी भारी है,

सजा है शिवालय देखो,

आज सोमवार है,

आज सोमवार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥


मेरा भोला बाबा है,

इनके भक्त सभी प्यारे,

इक लौटा जल से ही,

कर दे ये वारे न्यारे,

‘राघव’ मिला है जो भी,

बाबा का प्यार है,

बाबा का प्यार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥


शिव की जटा से बरसे,

गंगा की धार है,

गंगा की धार है,

महीना ये सावन का है,

छाई बहार है ॥

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तेरे दरबार में मैय्या खुशी मिलती है

तेरी छाया मे, तेरे चरणों में,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तों में॥

हनुमत के गुण गाते चलो (Hanumat Ke Gun Gate Chalo)

हनुमत के गुण गाते चलो,
प्रेम की श्रद्धा बहाते चलो,

शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ (Shiv Shankar Ko Jisne Pooja)

शिव शंकर को जिसने पूजा,
उसका ही उद्धार हुआ ।

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