शिव के रूप में आप विराजे,
भोला शंकर नाथ जी ॥
श्लोक – सौराष्ट्रे सोमनाथं च,
श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्,
उज्जयिन्यां महाकाल,
ओमकारम ममलेश्वरम्।
परल्यां वैजनाथं च,
डाकियन्यां भीमशंकरम्,
सेतुबन्धे तु रामेशं,
नागेशं दारुकावने,
वारणस्यां तु विश्वेशं,
त्र्यम्बकं गौतमी तटे,
हिमालये तु केदारं,
ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥
आकाशे तारकम लिंगम,
पाताले हाटकेश्वरम,
मृत्युलोके महाकालम,
लिंगम त्रयो नमोस्तुते ॥
शिव के रूप में आप विराजे,
भोला शंकर नाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
माँ गौरा के साथ जी,
बोल बम बोल बम,
बोल बम बम ॥
सौराष्ट्र में सोमनाथ जी,
श्री शैले मलिकार्जुनम्,
ओमकारेश्वर में ममलेश्वर,
गोमती तट में त्रंबकेश्वर,
उज्जैन में महाकाल स्वयंभू,
कालों के है काल जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
माँ गौरा के साथ जी,
बोल बम बोल बम,
बोल बम बम ॥
परल्यां में वैजनाथ है,
डाकियन्या में भीम शंकर,
वाराणसी में विश्वेश्म् है,
नागेशं दारूकावने,
हिमालय में दर्शन करलो,
बद्री केदारनाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
माँ गौरा के साथ जी,
बोल बम बोल बम,
बोल बम बम ॥
अमरनाथ में आते बाबा,
बर्फानी देने दर्शन,
घृष्णेश्वर के दिव्य है दर्शन,
चलो चले वेरुल शहर,
समुंद्र तट पर रामेश्वर को,
पूजे थे श्री राम जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
माँ गौरा के साथ जी,
बोल बम बोल बम,
बोल बम बम ॥
शिव के रूप में आप विराजें,
भोला शंकर नाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
माँ गौरा के साथ जी,
बोल बम बोल बम,
बोल बम बम ॥
ग्रहों के राजकुमार माने जाने वाले ग्रह बुध सौर मंडल के सबसे छोटे ग्रह हैं, ये सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह हैं। इनकी सूर्य से दूरी लगभग ५८० लाख किलोमीटर हैं तथा इनका क्षेत्र ७४८ लाख किलोमीटर। नवग्रहों में राजकुमार माने गए ग्रह बुध हरे रंग के बताए गए हैं तथा ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बुद्धि, समृद्धि, शांति, व्यापार, अकाउंट, गणित, त्वचा और ज्योतिष से बताया गया है।
देवाधिदेव महादेव की पूजा दो स्वरूप में होती है। एक जो आपने देखा होगा कि वे कैलाश पर्वत पर समाधि की मुद्रा में या माता पार्वती के साथ बैठे हुए हैं और दूसरा शिवलिंग के रूप में जिसकी पूजा हम सभी करते है।
हिन्दू धर्म में हम जिन जिन देवताओं की पूजा करते हैं उन सब की अपनी एक अलग छवि और आभा मंडल है जो भक्तों का मन मोह लेती है। लेकिन भोलेपन के स्वामी भगवान भोलेनाथ शिव इस मामले में भी विरले ही हैं।
सृष्टि के सृजन कर्ता के रूप में सनातन धर्म के अनुसार ब्रह्मा जी का स्थान सभी देवों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से सृष्टि के सृजन और संतुलन का कार्य ब्रह्म देव के हाथों में है।