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शेरावाली का लगा है दरबार (Sherawali Ka Laga Hai Darbar)

शेरावाली का लगा है दरबार (Sherawali Ka Laga Hai Darbar)

शेरावाली का लगा है दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

मेहरवाली का सजा है दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

जयकारा माँ का जयकारा,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


पर्वत की ऊँची सी चोटी,

चोटी ऊपर जगती ज्योति,

बैठी शेर पे होके सवार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


ढम ढम ढोल नगाड़े बाजे,

झूम झूम के जोगन नाचे,

माँ की हो रही जय जयकार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


बजरंगी माँ की सेवा में खड़े,

भैरोनाथ आरती उतारे,

गंगा मैया रही चरण पखार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


लुटा रही माँ अटल खजाना,

भर भर झोली लुटे जमाना,

माँ ने खोल दिए रे भंडार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


शेरावाली का लगा है दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

मेहरवाली का सजा है दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

जयकारा माँ का जयकारा,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥

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स्कंद षष्ठी व्रत की पौराणिक कथा

स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय जिन्हें मुरुगन, सुब्रमण्यम और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है उनकी पूजा को समर्पित है। यह व्रत मुख्यतः दक्षिण भारत में मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और शक्ति के देवता के रूप में पूजते हैं।

स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि

हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। स्कंद षष्ठी व्रत जीवन में शुभता और समृद्धि लाने का एक विशेष अवसर है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के सभी दुख दूर होते हैं।

गणेश जी की आरती व मंत्र

प्रत्येक महीने दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। मार्गशीर्ष महीने में मनाई जाने वाली विनायक चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा पाने का उत्तम समय है।

मेरे मन के अंध तमस में (Mere Man Ke Andh Tamas Me Jyotirmayi Utaro)

जय जय माँ, जय जय माँ ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।

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