सावन सुहाना आया है, सावन,
संदेसा माँ का लाया है, सावन ॥
सावन है सुहाना सुहाना सुहाना,
दर्शन माँ का पाना है पाना है पाना ॥
सावन सुहाना आया है, सावन,
संदेसा माँ का लाया है, सावन,
चिंत पुर्णी के द्वार गूंजती,
जय जयकार,
चिंता पुर्णी के द्वार गूंजती,
जय जयकार,
भक्तो के मन भाया है, सावन,
सावन सुहाना आया है,
संदेसा माँ का लाया है ॥
छम छम बरसाए बारिश,
सावन अलबेला,
माँ के भवन पे लगा,
भक्तो का मेला,
लाल ध्वजा उठाए,
झूमते गाते आए,
दुखड़े मिटाने आया है, सावन,
सावन सुहाना आया हैं, सावन,
संदेसा माँ का लाया है, सावन ॥
झूले पड़े है हर,
आम की डाली,
कन्या का रूप धरे,
माँ शेरावाली,
सखियों को संग में ले,
बगिया में झूला झूले,
झूला झुलाने आया है, सावन,
सावन सुहाना आया हैं, सावन,
संदेसा माँ का लाया है, सावन ॥
सावन में करले ‘सरल’,
मन को पावन,
‘लख्खा’ के संग जाके,
करले माँ के दर्शन,
पाप धूल जाए सारे,
कवळे समझो ये सारे,
किस्मत चमकाने आया है, सावन,
सावन सुहाना आया हैं, सावन,
संदेसा माँ का लाया है, सावन ॥
सावन है सुहाना सुहाना सुहाना,
दर्शन माँ का पाना है पाना है पाना ॥
सावन सुहाना आया है, सावन,
संदेसा माँ का लाया है, सावन,
चिंत पुर्णी के द्वार गूंजती,
जय जयकार,
चिंता पुर्णी के द्वार गूंजती,
जय जयकार,
भक्तो के मन भाया है, सावन,
सावन सुहाना आया हैं,
संदेसा माँ का लाया है ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास साल का तीसरा महीना होता है और इस बार यह महीना 13 मई 2025 से शुरू होकर 11 जून 2025 तक रहेगा। यह महीना भगवान सूर्य को समर्पित माना जाता है और इसे पुण्य प्राप्ति का समय माना जाता है। इस मास में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है।
ज्येष्ठ माह हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का तीसरा महीना होता है। यह महीना विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसमें कई प्रमुख व्रत, त्योहार और पूजा-अर्चना की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के उग्र रूप में नरसिंह भगवान की पूजा की जाती है। भारत में कई मंदिर हैं जो उनकी पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां हम पांच प्रमुख नरसिंह मंदिरों की जानकारी देंगे, जो धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
छिन्नमस्ता जयंती दस महाविद्याओं में से छठी देवी के रूप में प्रतिष्ठित देवी छिन्नमस्ता की जयंती है। इस वर्ष यह रविवार 11 मई को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से तांत्रिक साधकों और शक्ति साधकों के लिए महत्वपूर्ण होता है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में।