साथी हारे का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे,
मेरा ये नसीबा भी,
सोया है जगा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
दुनिया में घुमा मुझे,
मिली रुसवाई है,
अपनों से जख्म मिले,
आँख भर आई है,
सबको निभाते हो,
सबको निभाते हो,
मुझे भी निभा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
तुमसे छुपाऊं क्या मैं,
तुम्हे सब पता है,
हाथ जोड़ माफ़ी मांगू,
हुई जो खता है,
दयालु दया थोड़ी,
दयालु दया थोड़ी,
मुझपे भी लुटा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
हारे का सहारा है तू,
मैं भी एक हारा,
इतिहास कहता तुमने,
लाखों को उबारा,
‘मोहित’ मेरी भी,
‘मोहित’ मेरी भी,
किस्मत सजा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
साथी हारे का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे,
मेरा ये नसीबा भी,
सोया है जगा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। वहीं, मकर संक्रांति के पवित्र स्नान पर करोड़ो साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने यहां आस्था की डुबकी भी लगाई है। कुंभ नगरी में बड़ी संख्या में देशभर से साधु-संत भी पहुंचे हैं।
महाकुंभ 2025 में, गंगापुरी महाराज अपनी हाइट को लेकर सुर्ख़ियों में हैं और आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उनकी हाइट महज 3 फिट है। इतनी लंबाई महज पांच-छह साल के बच्चे की होती है।
प्रयागराज में 13 जनवरी से जोर शोर से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। यहां, साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला अभी भी जारी है। इसी क्रम में महाकुंभ में बवंडर बाबा भी पहुंचे हैं।
महाकुंभ में इस वक्त कल्पवासी, कल्पवास कर रहे हैं। कुंभ में हजारों-लाखों लोग कल्पवास व्रत रखते हैं। कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस पर्व के महत्व को समझने के लिए सबसे पहले समझें कि कल्पवास का अर्थ क्या होता है।