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सतगुरु मैं तेरी पतंग,
बाबा मैं तेरी पतंग,
हवा विच उडदी जावांगी,
हवा विच उडदी जावांगी ।
साईयां डोर हाथों छोड़ी ना,
मैं कट्टी जावांगी ॥
तेरे चरना दी धूलि साईं माथे उते लावां,
करा मंगल साईंनाथ गुण तेरे गावां।
साईं भक्ति पतंग वाली डोर, अम्बरा विच उडदी फिरा ॥
बड़ी मुश्किल दे नाल मिलेय मेनू तेरा दवारा है ।
मेनू इको तेरा आसरा नाले तेरा ही सहारा है ।
हुन तेरे ही भरोसे, हवा विच उडदी जावांगी,
साईंया डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावांगी ॥
ऐना चरना कमला नालो मेनू दूर हटावी ना ।
इस झूठे जग दे अन्दर मेरा पेचा लाई ना ।
जे कट गयी ता सतगुरु, फेर मैं लुट्टी जावांगी,
साईंया डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावांगी ॥
अज्ज मलेया बूहा आके मैं तेरे द्वार दा ।
हाथ रख दे एक वारि तूं मेरे सर ते प्यार दा ।
फिर जनम मरण दे गेडे तो मैं बच्दी जावांगी,
साईंया डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावांगी ॥
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