साँवरे सा कौन,
सांवरे सा कौन,
कोई मुझको बताओ तो सही,
क्यूँ हो सारे मौन,
सांवरे सा कौन ॥
कोई नहीं है मेरे,
साँवरे सा दानी,
कथा शीश दान वाली,
दुनियाँ ने मानी,
जय जयकार बुलाओ तो सही,
सांवरे सा कौन ॥
मेरा श्याम बाबा करता,
नीले की सवारी,
खाटू नगरिया लागे,
भगतों को प्यारी,
दर्शन करने को जाओ तो सही,
सांवरे सा कौन ॥
साथी बनालो अपना,
काली कमली वाला,
यही है वो खोलता जो,
किस्मत का ताला,
‘श्याम’ हाले दिल सुनाओ तो सही,
सांवरे सा कौन ॥
साँवरे सा कौन,
सांवरे सा कौन,
कोई मुझको बताओ तो सही,
क्यूँ हो सारे मौन,
सांवरे सा कौन ॥
कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा जो सुबह 6:20 बजे से शुरू होकर मध्यरात्रि 2:59 बजे समाप्त होगा।
हिंदू धर्म के अनुसार सप्ताह के सात दिन अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित है। इन मान्यताओं के अनुसार हम प्रत्येक दिन किसी-न-किसी देवी-देवता की पूजा आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।
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सनातन परंपरा के अनुसार संसार में अब तक चार युग हुए हैं। इन चार युगों को सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलि युग कहा गया है। संसार का आरंभ सतयुग से हुआ। त्रेता युग में विभिन्न देवताओं ने विभिन्न अवतारों के साथ धर्म की रक्षा की। इसमें प्रमुख रूप से रामावतार में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना की और पापियों का नाश किया।