सामने आओगे या आज भी परदा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा,
रोज ऐसा ही अगर होगा तो कैसा होगा,
रोज ऐसा ही अगर होगा, तो कैसा होगा,
सामने आओगे या आज भी परदा होगा ॥
मौत आती है तो आ जाये कोई गम ही नहीं,
मौत आती है तो आ जाये, कोई गम ही नहीं,
वो भी तो आएगा, जो मेरा मसीहा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा ॥
मैंने मोहन को बुलाया है वो आता होगा,
मैंने मोहन को बुलाया, है वो आता होगा,
वो आता होगा, २
वो आता होगा, २
मैंने, मोहन, को, बुलाया है, वो आता होगा,
मैंने मोहन को बुलाया है वो आता होगा,
तुम भी आना, मेरे घर आज तमाशा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा ॥
हम गुनाहगारो ने सोचा ही नही था प्यारे,
हम गुनाहगारो ने, सोचा ही नही था प्यारे,
जिक्र मोहन की गली में, भी हमारा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा ॥
सामने आओगे या आज भी परदा होगा,
रोज ऐसा ही अगर होगा तो कैसा होगा,
रोज ऐसा ही अगर होगा, तो कैसा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा ॥
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी विघ्न समाप्त होते हैं और जीवन में शुभता आती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे संकटों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 विशेष रूप से चैत्र मास में मनाई जाती है और इस दिन गणपति बप्पा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की आराधना कर सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।
शीतला अष्टमी, जिसे बसोड़ा भी कहते हैं, माता शीतला को समर्पित एक पवित्र पर्व है। यह होली के बाद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर इसे होली के आठ दिन बाद पहले सोमवार या शुक्रवार को भी मनाते हैं।