सजा है प्यारा दरबार बाबा का,
भक्तों ने मिलकर के किया है,
श्रृंगार बाबा का,
सजा हैं प्यारा दरबार बाबा का,
लगे है न्यारा दरबार बाबा का ॥
भक्तों ने मिलकर के,
बाबा को है आज बुलाया,
गेंदा चम्पा और चमेली,
फूलों से है सजाया,
रंग बिरंगे फूलों का है हार बाबा का,
सजा हैं प्यारा दरबार बाबा का,
लगे है न्यारा दरबार बाबा का ॥
मुख मंडल की आभा ऐसी,
सूरज फीका लागे,
करके दर्शन बाबा का मेरी,
सोई किस्मत जागे,
आओ मिलकर के करलो,
सब दीदार बाबा का,
सजा हैं प्यारा दरबार बाबा का,
लगे है न्यारा दरबार बाबा का ॥
बनड़े जैसा सजा हुआ है,
माँ अंजनी का लाला,
देख देख कर मन वारी हो,
ऐसा रूप निराला,
‘नरसी’ के संग गा लो,
मंगलाचार बाबा का,
सजा हैं प्यारा दरबार बाबा का,
लगे है न्यारा दरबार बाबा का ॥
सजा है प्यारा दरबार बाबा का,
भक्तों ने मिलकर के किया है,
श्रृंगार बाबा का,
सजा हैं प्यारा दरबार बाबा का,
लगे है न्यारा दरबार बाबा का ॥
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को सूर्यदेव की उपासना और शनिदोष से मुक्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं।
हिंदू धर्म में माघ माह का विशेष महत्व है। इस साल 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो रहा है। माघ माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के पहले दिन से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है।
2025 में, मकर संक्रांति विशिष्ट योग में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान-ध्यान और दान का शुभ मुहूर्त रहेगा।
आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करते हैं। सूर्य देव के इस राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं। हर संक्रांति का अपना खास महत्व होता है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है।