राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी, राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी,
बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं,
राम देखें सिया, माँ सिया राम को,
चार अँखियाँ लड़ी की लड़ी रह गयीं,
राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी
१) थे जनकपुर गए देखने के लिए, सारी सखियाँ झरोंखन से झाँकन लगीं,
देखते ही नजर मिल गयी दोनों की, जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयीं,
राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी
२) बोली है इक सखी राम को देखकर, रच दिए हैं विधाता ने जोड़ी सुघड़,
पर धनुष कैसें तोड़ेंगे वारे कुंवर, मन में शंका बनी की बनी रह गयी,
राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी
३) बोली दूजी सखी छोटे देखन में हैं, पर चमत्कार इनका नहीं जानती,
एक ही बाण में ताड़का राक्षसी, उठ सकी न पड़ी की पड़ी रह गयी,
राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी
राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी,
बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं,
राम देखें सिया, माँ सिया राम को,
चार अँखियाँ लड़ी की लड़ी रह गयीं।।
बोलिये सियावर रामचंद्र की जय
ज्योतिष शास्त्र में मंगलदेव को युद्ध का देवता कहा जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को ऊर्जा और साहस मिलती है। वहीं अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल उच्च स्थिति मे होते हैं, तो उन्हें मांगलिक कहा जाता है।
सनातन धर्म में माता अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना गया है। इसलिए, हर साल मार्गशीर्ष माह में अन्नपूर्णा जयंती मनायी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती धरती पर मां अन्नपूर्णा के रूप में अवतरित हुई थीं।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली त्रिपुर भैरवी जयंती एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है, जो माता काली के शक्तिशाली स्वरूप त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन मां भगवती त्रिपुर भैरवी की जयंती मनाई जाती है। यह दिन मां त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति के रूप में मनाया जाता है जो शक्ति और साधना की प्रतीक हैं।