रम गयी माँ मेरे रोम रोम में,
रम गयी माँ मेरे रोम रोम में
रम गयी माँ मेरे रोम रोम में,
रम गयी माँ मेरे रोम रोम में
मेरी सांसो में अम्बे के नाम की धारा बहती
इसीलिए तो मेरी जिह्वा हर समय ये कहती
॥ रम गयी माँ मेरे रोम रोम में ॥
जहा भी जाऊ, जिधर भी देखू
जहा भी जाऊं, जिधर भी देखू
अष्टभुजी माता के, ये रंग ऐसा जिसके
आगे और सभी रंग फीके भक्तो
और सभी रंग फीके भक्तो,
और सभी रंग फीके भक्तो
आंधी आये तूफ़ान आया,
पर ना भरोसा ना डोला
नाम दीवाना भक्त जानू,
यही झूम के बोला
॥ रम गयी माँ मेरे रोम रोम में ॥
दुःख सुख भक्तो, इस जीवन को
दुःख सुख भक्तो, इस जीवन को,
एक बराबर लागे
मंन में माँ की ज्योति जगी है,
इधर उधर क्यों भागे
इधर उधर क्यों भागे,
इधर उधर क्यों भागे
सपने में जब वैष्णों माँ ने,
अध्भुत रूप दिखाया
मस्ती में बावरे हो कर श्रीधर ने फरमाया
॥ रम गयी माँ मेरे रोम रोम में ॥
मंन चाहे अब, मंन चाहे अब
माँ के दर का मैं सेवक बनजाऊ
माँ के भक्तो की सेवा में सारी उम्र बिताओ
सारी उम्र बिताओ,
सारी उम्र बिताओ
छिन्न मस्तिका चिंता हरणी नैनन बीच समायी
मस्ताना हो भाई दास ने ये ही रत लगाईं
॥ रम गयी माँ मेरे रोम रोम में ॥
मेरी सांसो में अम्बे के नाम की धारा बहती
इसीलिए तो मेरी जिह्वा हर समय ये कहती
रम गयी माँ मेरे रोम रोम में
रम गयी माँ मेरे रोम रोम में
इस साल की चैत्र नवरात्रि बहुत ही खास होने वाली है, क्योंकि इस साल शुक्र और बृहस्पति का खास संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धन और भोग विलास के प्रतीक शुक्र, अपने प्रतिकूल गुरु बृहस्पति के नक्षत्र "पूर्वाभाद्रपद" में प्रवेश करने वाले हैं।
हर साल चैत्र नवरात्रि बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। मगर साल 2025 की चैत्र नवरात्रि बहुत ही खास है क्योंकि इस अवसर पर तीन महत्वपूर्ण शुभ संयोग बनने वाले हैं।
इस साल चैत्र नवरात्रि के एक दिन पहले, 29 मार्च को सूर्य ग्रहण लग रहा है, जो साल का पहला सूर्य ग्रहण है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण से कई राशियों में भी बदलाव देखने को मिलता है।
नवरात्रि भारत में बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मां दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित है, और इस दौरान लोग व्रत रखते हैं। व्रत का उद्देश्य केवल भूखा रहना नहीं, बल्कि शरीर और मन की शुद्धि भी होता है।