राजा राम आइये,
प्रभु राम आइये,
मेरे भोजन का,
भोग लगाइये ॥
आचमनी अर्घा आरती,
यही यहाँ मेहमानी,
रुखी रोटी पाओ प्रेम से,
पियो नदी का पानी,
राजा राम आइयें,
प्रभु राम आइये,
मेरे भोजन का,
भोग लगाइये ॥
भूल करोगे यदि तज दोगे,
भोजन रुखे सुखे,
एकादशी आज मन्दिर में,
बैठे रहोगे भूखे,
राजा राम आइयें,
प्रभु राम आइये,
मेरे भोजन का,
भोग लगाइये ॥
राजा राम आइये,
प्रभु राम आइये,
मेरे भोजन का,
भोग लगाइये ॥
न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥
ना जाने आज क्यों फिर से,
तुम्हारी याद आई है ॥
ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते हैं ।
ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की,
बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ।