प्रभु! स्वीकारो मेरे परनाम (Prabhu Sweekaro Mere Paranam)

सुख-वरण प्रभु, नारायण हे!

दु:ख-हरण प्रभु, नारायण हे!

तिरलोकपति, दाता, सुखधाम,

स्वीकारो मेरे परनाम,

स्वीकारो मेरे परनाम,

स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...


मन वाणी में वो शक्ति कहाँ जो,

महिमा तुम्हरी गान करें,

अगम अगोचर अविकारी,

निर्लेप हो, हर शक्ति से परे,

हम और तो कुछ भी जाने ना,

केवल गाते हैं, पावन नाम ,

स्वीकारो मेरे परनाम,

स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...


आदि मध्य और अन्त तुम्ही,

और तुम ही आत्म अधारे हो,

भगतों के तुम प्राण प्रभु,

इस जीवन के रखवारे हो,

तुम में जीवें, जनमें तुममें,

और अन्त करें तुम में विश्राम,

स्वीकारो मेरे परनाम,

स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...


चरन कमल का ध्यान धरूँ,

और प्राण करें सुमिरन तेरा,

दीनाश्रय दीनानाथ प्रभु,

भव बंधन काटो हरि मेरा,

शरणागत के (घन)श्याम हरि,

हे नाथ, मुझे तुम लेना थाम,

स्वीकारो मेरे परनाम,

स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...

........................................................................................................
करवा चौथ व्रत-कथा की कहानी (Karva Chauth Vrat-katha Ki Kahani)

अतीत प्राचीन काल की बात है। एक बार पाण्डु पुत्र अर्जुन तब करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर चले गए थे।

भानु सप्तमी के विशेष उपाय

भानु सप्तमी हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है, जो सूर्य देव को समर्पित होती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा और उपासना से न केवल जीवन में तेज और ऊर्जा प्राप्त होती है, बल्कि आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि में भी वृद्धि होती है।

तेरे दर जबसे ओ भोले, आना जाना हो गया(Tere Dar Jab Se O Bhole Aana Jana Ho Gaya)

तेरे दर जबसे ओ भोले,
आना जाना हो गया,

मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू (Mere Bhole Baba Jatadhari Shambhu)

मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।