फूल भी न माँगती, हार भी न माँगती (Phool Bhi Na Mangti Haar Bhi Na Mangti)

फूल भी न माँगती,

हार भी न माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी,

बोलो जय माता दी,

जय माता दी भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


ऊँचे ऊँचे पर्वतो पे,

डेरा मेरी माई का,

जग है दीवाना है,

सारा जग की सहाई का,

चढ़ावे को ना माँगती,

दिखावे को ना माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


मेरी महामाया की तो,

माया ही निराली है,

बिना मांगे दे दे वो तो,

ऐसी महामाई है,

पूजा भी ना माँगती,

पाठ भी ना माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


प्रेम से बुलाओ तो वो,

दौड़ी चली आती है,

पल में ही मेहरा वाली,

बिगड़ी बनाती है,

फूल भी न माँगती,

हार भी न माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


फूल भी न माँगती,

हार भी न माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी,

बोलो जय माता दी,

जय माता दी भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥

........................................................................................................
माँ सरस्वती! मुझको नवल उत्थान दो (Mujhko Naval Utthan Do, Maa Saraswati Vardan Do)

मुझको नवल उत्थान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

जिस देश में, जिस भेष में, जिस धाम में रहो(Jis Desh Mein Jis Vesh Main Raho)

जिस देश में, जिस भेष में, जिस धाम में रहो
राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो

आते हैं हर साल नवराते माता के

हो, चैत महीना और अश्विन में, ओ..
चैत महीना और अश्विन में, आते मां के नवराते।
मुंह मांगा वर उनको मिलता, जो दर पे चलके आते।

मां सरस्वती पूजा विधि

माँ सरस्वती जो ज्ञान, संगीत, कला और शिक्षा की महादेवी मानी जाती हैं। इनकी पूजा विशेष रूप से माघ शुक्ल पंचमी यानी बसंत पंचमी के दिन की जाती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।