पार्वती तेरा भोला, जगत में (Parvati Tera Bhola Jagat Me Sabse Nirala Hai)

पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।

पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।


जो मै होती गंगा जैसी,

जो मै होती गंगा जैसी,

जटा में जाय समाती ।

पती तो तेरा सबसे निराला है ।


पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।

पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।


जो मै होती चंदा जैसी,

जो मै होती चंदा जैसी,

माथे पे जाय समाती ।

पति तो तेरा सबसे निराला है ।


पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।

पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।


जो मै होती नागों जैसी,

जो मै होती नागों जैसी,

गले में जाय समाती ।

पति तो तेरा सबसे निराला है ।


पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।

पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।


जो मै होती डमरू जैसी,

जो मै होती डमरू जैसी,

हाथों में जाय समाती।

पति तो तेरा सबसे निराला है।


पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।

पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।


जो मै होती गौरा जैसी,

जो मै होती गौरा जैसी,

बगल में जाय समाती।

पति तो तेरा सबसे निराला है।


पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।

पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।


जो मै होती गणपति जैसी,

जो मै होती गणपति जैसी,

गोदी में जाय समाती ।

पति तो तेरा सबसे निराला है ।


पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।

पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।


जो मै होती नंदी जैसी,

जो मै होती नंदी जैसी,

चरणों में जाय समाती ।

पति तो तेरा सबसे निराला है ।


पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।

पार्वती तेरा भोला,

जगत में सबसे निराला है ।


........................................................................................................
मासिक जन्माष्टमी पर राशि अनुसार पूजा

हिंदू धर्म में हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव की पूजा की जाती है और इसे कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

मेरा भोला हे भंडारी, जटाधारी अमली (Mera Bhola Hai Bhandari Jatadhari Amali)

मेरा शिव भोला भंडारी,
जटाधारी अमली,

अरज सुणो बनवारी (Araj Suno Banwari)

अरज सुणो बनवारी सांवरियां म्हारी,
अरज सुणो बनवारी,

पौष माह में करें ये उपाय

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह साल का दसवां महीना होता है जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद शुरू होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार, इस साल पौष माह की शुरुआत 16 दिसंबर से हो चुकी है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।