पर्वत से उतर कर माँ, मेरे घर आ जाना - भजन (Parvat Se Utar Kar Maa Mere Ghar Aa Jana)

पर्वत से उतर कर माँ,

मेरे घर आ जाना,

मैं भी भगत तेरा,

मेरा मान बढ़ा जाना ॥


मैया तेरे बेटे को,

तेरा ही सहारा है,

जब जब कष्ट पड़ा,

मैंने तुम्हे ही पुकारा है,

अब देर करो ना मेरी माँ,

दौड़ी दौड़ी आ जाना,

पर्वत से उतर कर मां,

मेरे घर आ जाना ॥


ना सेवा तेरी जानू,

ना पूजा तेरी जानू,

मैं तो हूँ अज्ञानी माँ,

तेरी महिमा ना जानू,

मैं लाल तू मैया मेरी,

बस इतना ही जाना,

पर्वत से उतर कर मां,

मेरे घर आ जाना ॥


जब आओगी घर माँ,

मैं चरण पखारूँगा,

चरणों की धूल तेरी,

मैं माथे से लगाऊंगा,

मैं चरणों में शीश रखूं,

तुम हाथ बढ़ा जाना,

पर्वत से उतर कर मां,

मेरे घर आ जाना ॥


माँ रहता हूँ हर पल,

बस तेरे ही आधार,

ये मांग रहा है ‘विशाल’,

बस थोड़ा सा प्यार,

माँ अपने ‘महेश; को तू,

आ राह दिखा जाना,

पर्वत से उतर कर मां,

मेरे घर आ जाना ॥


पर्वत से उतर कर माँ,

मेरे घर आ जाना,

मैं भी भगत तेरा,

मेरा मान बढ़ा जाना ॥


........................................................................................................
सारे जग में विराजे रे, मेरे शिव भोले( Sare Jag Mein Viraje Re Mere Shiv Bhole)

सारे जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले,

मात भवानी अम्बे माँ (Maat Bhawani Ambe Maa)

मात भवानी अम्बे माँ,
मेरी नैया भवर में है आ,

फागुन की रुत फिर से आई, खाटू नगरी चालो (Fagun Ki Rut Phir Se Aayi Khatu Nagri Chalo)

फागुन की रुत फिर से आई,
खाटू नगरी चालो,

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि

दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।