ओढ़ो जी ओढ़ो दादी,
म्हारी भी चुनरिया,
शान से ल्याया थारा,
टाबरिया थारा बालकिया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
राचणी मेहंदी थारे,
हाथां में लगावा,
गजरो बनावा थारे,
जुड़े में सजावा,
फूल मंगाया बढ़िया बढ़िया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
दादी जी आओ थारे,
भोग लगावा,
हलवा पूड़ी मेवा का,
थाल सजावा,
खीर बनवाई दादी केसरिया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
चुनड़ी ओढ़ाया म्हारो,
मान बढ़ेगो,
और भी थारो,
सिणगार खिलेगो,
‘सोनू’ सरावेगी या सारी दुनिया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
ओढ़ो जी ओढ़ो दादी,
म्हारी भी चुनरिया,
शान से ल्याया थारा,
टाबरिया थारा बालकिया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
जानें कौन सी तिथि पर श्राद्ध करने से मिलेगी आपके पूर्वजों की आत्मा को शांति
बिहार के गया जिले में इस वर्ष के आज से शुरू हो रहे पितृपक्ष मेले को लेकर विशेष तैयारियां पूर्ण की जा चुकी है।
गया में पितृपक्ष मेला एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें देश-विदेश से लाखों तीर्थ यात्रा अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए आते हैं
अद्भुत संयोगों के साथ पुनपुन में अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला प्रारंभ, तीन पीढ़ियों तक श्राद्ध किया जाता है I