ओ, आए तेरे भवन, दे दे अपनी शरण
ओ, आए तेरे भवन, दे दे अपनी शरण
रहे तुझ में मगन, थाम कर ये चरण
तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
ओ, आए तेरे भवन, दे दे अपनी शरण
रहे तुझ में मगन, थाम कर ये चरण
तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
उत्सव मनाए, नाचे, गाएं
उत्सव मनाए, नाचे, गाएं
चलो मैय्या के दर जाएं
जय माता दी (जय माता दी)
ज़ोर से बोलो ("जय माता दी")
चारों दिशाएँ चार खंबे बनी हैं
मंडप पे आसमाँ की चादर तनी है
सूरज भी किरणों की माला ले आया
क़ुदरत ने धरती का आँगन सजाया
कर के तेरे दर्शन, झूमें धरती, गगन
सन-न-न-न गाए पवन, सभी तुझ में मगन
तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
ओ, तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
फूलों ने रंगो से रंगोली सजाई
फूलों ने रंगो से रंगोली सजाई
सारी धरती ये महकाई
जय माता दी (जय माता दी)
ज़ोर से बोलो ("जय माता दी")
चरणों में बहती है गंगा की धारा
आरती का दीप लगे हर एक सितारा
पुरवैया देखो चवर कैसे झुलाएँ
ऋतुएँ भी माता का झूला झुलाएँ
ओ, पाके भक्ति का धन, हुआ पावन ये मन
कर के तेरा सुमिरन, खुले अंतर नयन
तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
ओ, आए तेरे भवन, दे दे अपनी शरण
रहे तुझ में मगन, थाम कर ये चरण
तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
ओ, तन-मन में भक्ति ज्योत तेरी
हे, माता जलती रहे
महर्षि वेदव्यास, महर्षि पराशर और धीवर कन्या सत्यवती के पुत्र थे। रंग काला होने की वजह से महर्षि वेदव्यास को कृष्ण तो वहीं यमुना नदी के बीच द्वीप पर जन्म होने की वजह से उनको द्वैपायन नाम से भी जाना जाता है।
रुद्र के ग्यारहवें अवतार और वानर राज केसरी तथा अंजनी के पुत्र हनुमान का जन्म भगवान श्री राम की सेवा के लिए हुआ था।
विभीषण ऋषि विश्रवा और राक्षसी कैकसी के पुत्र थे। वे एक धर्मपरायण व्यक्ति थे जो हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते थे।
कुरुवंश के कुलगुरु के रूप विख्यात कृपाचार्य महर्षि यानी संत होने के साथ-साथ अद्वितीय योद्धा भी थे