नाम मेरी राधा रानी का जिस जिस ने गाया है(Naam Meri Radha Rani Ka Jis Jis NeGaya Hai)

नाम मेरी राधा रानी का जिस जिस ने गाया है,

बांके बिहारी ने उसे अपना बनाया है,

जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥


नाम मेरी राधा रानी का सदा देता सहारा है,

तू भी एक बार जप ले यह नाम बड़ा प्यारा है,

जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥


राधा राधा नाम वाली फेरी जिसने माला है,

उस पर रीझ गया मेरा मुरली वाला है जय राधे,

जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥


राधा राधा नाम का तो हुआ पागल जमाना है,

प्यारा तीनों लोको से श्री जी का बरसाना है,

जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥


राधा राधा नाम वाली चढ़ गई हमें मस्ती है,

हर्षित' पे कृपा राधा रानी की बरसती है,

जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥

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आया बुलावा भवन से (Aaya Bulawa Bhawan Se)

आया बुलावा भवन से,
मैं रह ना पाई ॥

सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे(Satguru Mere Kalam Hath Tere)

सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,

होली पर गुजिया क्यों बनाई जाती है

हर घर में होली के मौके पर गुजिया बनाई और खाई जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि होली पर गुजिया बनाने की परंपरा क्यों है? इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा और ऐतिहासिक महत्व छिपा हुआ है। तो आइए जानते हैं कि होली पर गुजिया क्यों बनाई जाती है और इसके पीछे की कहानियां क्या हैं।

होलाष्टक के यम-नियम क्या हैं

हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से पहले आठ दिनों की एक विशेष अवधि है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक चलती है। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।

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