मुकुन्द माधव गोविन्द बोल (Mukund Madhav Govind Bol)

मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


कमल लज्जाये तेरे,

नैनो को देख के ।

भूली घटाएँ तेरी,

कजरे की रेख पे ।

यह मुखड़ा निहार के,

सो चाँद गए हार के,

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


कुर्बान जाऊं तेरी,

बांकी अदाओं पे ।

पास मेरे आजा तोहे,

भर मैं भर लूँ मैं बाहों में ।

जमाने को विसार के,

दिलो जान तोपे वार के,

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


रमण बिहारी नहीं,

तुलना तुम्हारी।

तुझ सा ना पहले,

कोई ना देखा अगाडी ।

दीवानों ने विचार के,

कहा यह पुकार के,

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


........................................................................................................
मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन(Manmohan Kanha Vinti Karu Din Rain)

मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन,
राह तके मेरे नैन, राह तके मेरे नैन,

बधाई भजन: बजे कुण्डलपर में बधाई, के नगरी में वीर जन्मे (Badhai Bhajan Baje Kundalpur Me Badayi Nagri Me Veer Janme)

बजे कुण्डलपर में बधाई,
के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी

बता दो कोई माँ के भवन की राह (Bata Do Koi Maa Ke Bhawan Ki Raah)

बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥

बैंगन छठ की कहानी क्या है

हर साल बैंगन छठ या चंपा षष्ठी का यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इसे बैंगन छठ के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, इस पूजा में बैंगन चढ़ाते हैं इसलिए इसे बैंगन छठ कहा जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।