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मुखड़ा देख ले प्राणी, जरा दर्पण में (Mukhda Dekh Le Prani, Jara Darpan Main)

मुखड़ा देख ले प्राणी, जरा दर्पण में (Mukhda Dekh Le Prani, Jara Darpan Main)

मुखड़ा देख ले प्राणी,

जरा दर्पण में हो,

देख ले कितना,

पुण्य है कितना,

पाप तेरे जीवन में,

देख ले दर्पण में,

मुखडा देख ले प्राणी,

जरा दर्पण में ॥


कभी तो पल भर सोच ले प्राणी,

क्या है तेरी करम कहानी ।

कभी तो पल भर सोच ले प्राणी,

क्या है तेरी करम कहानी ।


पता लगा ले,

पता लगा ले पड़े हैं कितने,

दाग तेरे दामन में

देख ले दर्पण में,

मुखडा देख ले प्राणी,

जरा दर्पण में ॥


खुद को धोखा दे मत बन्दे,

अच्छे ना होते कपट के धंधे ।

खुद को धोखा दे मत बन्दे,

अच्छे ना होते कपट के धंधे ।


सदा न चलता,

सदा न चलता किसी का नाटक,

दुनिया के आँगन में,

देख ले दर्पण में,

मुखडा देख ले प्राणी,

जरा दर्पण में ॥


मुखड़ा देख ले प्राणी,

जरा दर्पण में हो,

देख ले कितना,

पुण्य है कितना,

पाप तेरे जीवन में,

देख ले दर्पण में,

मुखडा देख ले प्राणी,

जरा दर्पण में ॥


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हनुमान जयंती साल में 2 बार क्यों मनाते हैं

हिंदू धर्म में रामभक्त हनुमान का विशेष स्थान है। संकटमोचन हनुमान को प्रसन्न करने के लिए साल में दो बार हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड और वैदिक मंत्रों का जाप करते हैं।

सुंदरकांड के नाम के पीछे का कारण

गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड में श्री हनुमान जी की भक्ति, शक्ति, साहस, सेवा और समर्पण की अनुपम कथा का वर्णन किया गया है।

हनुमान जी ने क्यों लिया वानर अवतार?

हनुमान जयंती पर देशभर में भक्त बजरंगबली की पूजा-अर्चना में जुटे हैं। इस बार यह पर्व 12 अप्रैल 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।

हनुमान जयंती पर 100 साल बाद ऐसा संयोग

इस बार की हनुमान जयंती बेहद खास रहने वाली है। पंचांग के अनुसार, यह पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-उपवास रखने और सच्चे मन से हनुमान जी की आराधना करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।

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