मुझे कैसी फिकर सांवरे साथ तेरा है गर सांवरे (Mujhe Kaisi Fikar Saware Sath Tera Hai Gar Saware)

मुझे कैसी फिकर सांवरे,

साथ तेरा है गर सांवरे,

मेरे होंठो पे रहती हंसी,

कोई गम ना बस है ख़ुशी,

मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,

साथ तेरा है गर सांवरे ॥


कितनी मुश्किल जो आए,

मैं तो खिलखिलाता रहूं,

तेरी किरपा से विपदाओं को,

दूर भगाता रहूं,

मुझे दुनिया की परवाह नहीं,

सिवा तेरे कोई चाह नहीं,

मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,

साथ तेरा है गर सांवरे ॥


मेरे संग में जो तू है,

मैं तेरे गीत गाता रहूं,

तेरी चौखट पे हरदम यूँ ही,

श्याम आता रहूं,

तूने थामा है दामन मेरा,

किया अहसान बाबा बड़ा,

मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,

साथ तेरा है गर सांवरे ॥


तेरी महिमा को कान्हा,

यूँ ही गुनगुनाता रहूं,

अपने हाथों से सांवरिये को,

रोज सजाता रहूं,

कभी ना बिछड़ूँ दर से तेरे,

‘हर्ष’ अरमान इतने मेरे,

मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,

साथ तेरा है गर सांवरे ॥


मुझे कैसी फिकर सांवरे,

साथ तेरा है गर सांवरे,

मेरे होंठो पे रहती हंसी,

कोई गम ना बस है ख़ुशी,

मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,

साथ तेरा है गर सांवरे ॥

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दुर्गा अष्टमी क्यों मनाई जाती है

मासिक दुर्गा अष्टमी हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी साधक मां दुर्गा की पूरी श्रद्धा और लगन से व्रत करता है। मां उन सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

गणपति तेरे चरणों की, पग धूल जो मिल जाए (Ganapati Tere Charno Ki Pag Dhool Jo Mil Jaye)

गणपति तेरे चरणों की,
बप्पा तेरे चरणों की,

अवध बिहारी हो, हम आए शरण तिहारी (Awadh Bihari Ho,Hum Aaye Sharan Tihari)

अवध बिहारी हो,
हम आए शरण तिहारी,

श्री सरस्वती स्तोत्रम् (Shri Saraswati Stotram)

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

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