कान्हा मेरी सांसो पे,
नाम अपना लिखा लेना,
फिर जो जन्म लूँ मैं,
मोहे मुरली बना लेना,
कान्हा मेरी सांसो पे,
नाम अपना लिखा लेना ॥
मेरी यही अर्जी है,
आगे तेरी मर्जी है,
रंगे जिस रंग राधा,
उस रंग में रंगा लेना,
मैंने तोहे पलको के,
पलने झुलाए है,
सांवरे मोहे अपने,
हाथो में झूला लेना,
फिर जो जन्म लूँ मैं,
मोंहे मुरली बना लेना,
कान्हा मेरी सांसो पे,
नाम अपना लिखा लेना ॥
दिखे तस्वीर तेरी,
कान्हा मेरी अँखियों में,
मुझे मेरी सखियों के,
तानो से बचा लेना,
जन्मो की ये तृष्णा,
ऐसे ना मिटेगी कृष्णा,
प्रेम से निहार के मोहे,
अधरों से लगा लेना,
फिर जो जन्म लूँ मैं,
मोंहे मुरली बना लेना,
कान्हा मेरी सांसो पे,
नाम अपना लिखा लेना ॥
मोहे मोह माया की,
धुप ना छू पाए,
प्यारे पीताम्बरी की,
छैया में छुपा लेना,
‘मेनका’ ने मन मोहन,
तुझमे रमाया है,
तेरे संग प्रीत लगी,
अब दुनिया से क्या लेना,
फिर जो जन्म लूँ मैं,
मोंहे मुरली बना लेना,
कान्हा मेरी सांसो पे,
नाम अपना लिखा लेना ॥
कान्हा मेरी सांसो पे,
नाम अपना लिखा लेना,
फिर जो जन्म लूँ मैं,
मोहे मुरली बना लेना,
कान्हा मेरी सांसो पे,
नाम अपना लिखा लेना ॥
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ महीना साल का ग्यारहवां महीना है। यह महीना धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत खास होता है। हिंदू धर्म में इस महीने को बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान लोग भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा करते हैं।
महाकुंभ 2025 का 13 जनवरी से शुभारंभ हो रहा है। प्रयागराज में इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। नागा साधुओं के अखाड़े धीरे-धीरे संगम क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं, जबकि श्रद्धालुओं का आगमन भी शुरू हो चुका है।
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फरवरी, साल का दूसरा महीना, अपनी छोटी अवधि के लिए जाना जाता है। इसमें ज्यादातर 28 दिन होते हैं, लेकिन हर चार साल में आने वाले लीप वर्ष में ये 29 हो जाते हैं।