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मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी(Mohe Hori Mein Kar Giyo Tang Ye Rashiyan Mane Na Meri)

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी(Mohe Hori Mein Kar Giyo Tang Ye Rashiyan Mane Na Meri)

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी,

माने ना मेरी माने ना मेरी,

मोहे होली में कर गयो तंग ॥


ग्वाल बालन संग घेर लई मोहे इकली जान के,

भर भर मारे रंग पिचकारी मेरे सन्मुख तान के,

या ने ऐसो,

या ने ऐसो या ने ऐसो मचायो हुरदंग,

ये रसिया माने ना मेरी ॥


जित जाऊँ मेरे पीछे डोले जान जान के अटके,

ना माने होरी में कहूं की ये तो गलिन गलिन में मटके,

ना ऐ होरी,

ना ऐ होरी ना ऐ होरी खेलन को ढंग,

ये रसिया माने ना मेरी ॥


रंग बिरंगे चित्र विचित्र बनाए दिए होरी में,

पिचकारी में रंग रीत गयो भर ले कमोरी ते,

पागल ने,

पागल ने पागल ने छनाए दई भंग,

ये रसिया माने ना मेरी ॥

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नमामि-नमामि अवध के दुलारे(Namami Namami Awadh Ke Dulare)

नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
खड़ा हाथ बांधे मैं दर पर तुम्हारे ॥

कार्तिगाई दीपम उत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा

कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय और शिव को समर्पित है। यह उत्सव तमिल माह कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।

नमामी राधे नमामी कृष्णम(Namami Radhe Namami Krishnam)

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,
नमामी राधे नमामी कृष्णम,

नमो नमो(Namo Namo)

नमो नमो नमो नमो ॥
श्लोक – सतसाँच श्री निवास,

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