मेरी वैष्णो मैया, तेरी महिमा अपरम्पार (Meri Vaishno Maiya Teri Mahima Aprampar)

मेरी वैष्णो मैया,

तेरी महिमा अपरम्पार,

कलियुग में हर प्राणी के,

कलियुग में हर प्राणी के,

पापो का करो उद्धार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


हर एक प्राणी परलोक सवारे,

तेरे चरण में अपने पाप उतारे,

हर एक प्राणी परलोक सवारे,

तेरे चरण में अपने पाप उतारे,

करुणामई तू सबके पापो,

का करती संहार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


ध्यानु भगत माँ तेरा गुण गाया,

तूने प्रेम अपना सारे भक्तो पे लूटाया,

ध्यानु भगत माँ तेरा गुण गाया,

श्रीधर सेवक को तूने गले से लगाया,

धन्य है तेरी कृपा मैया,

धन्य है तेरा प्यार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


उँचे पहाड़ा बैठी वैष्णो भवानी,

कठिन चढ़ाई चढ़के आए कल्याणी,

उँचे पहाड़ा बैठी वैष्णो भवानी,

कठिन चढ़ाई चढ़के आए कल्याणी,

तेरे दर्शन मात्र से मैया,

सुख पाए संसार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


ज्ञान जगा दो अब तो हम सबका माँ,

कायम रख सके भक्त की गरिमा,

ज्ञान जगा दो अब तो हम सबका माँ,

कायम रख सके भक्त की गरिमा,

‘देवेंद्र’ ‘कैलाश’ की माँ है,

हृदय से ये पुकार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


मेरी वैष्णो मैया,

तेरी महिमा अपरम्पार,

कलियुग में हर प्राणी के,

कलियुग में हर प्राणी के,

पापो का करो उद्धार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥

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नंदभवन में उड़ रही धूल(Nand Bhavan Me Ud Rahi Dhul)

नंदभवन में उड़ रही धूल,
धूल मोहे प्यारी लगे ॥

क्यों घबराता है पल पल मनवा बावरे (Kyun Ghabrata Hai Pal Pal Manva Baware)

क्यों घबराता है,
पल पल मनवा बावरे,

कब है गणेश जयंती

प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी अथवा वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र (Gajendr Moksh Stotr )

एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि।

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