कभी जल्दी जल्दी,
कभी धीरे धीरे,
मेरी शेरावाली माँ,
बदलती तकदीरे ॥
कहते है कोई बदल ना पाता,
है हाथों की रेखा,
पर ये करिश्मा हमने माँ को,
रोज ही करते देखा,
तभी तो ये दुनियाँ,
दीवानी इसकी रे,
मेरी शेरावाली मां,
बदलती तकदीरे ॥
दीन दुखी लाखों ही आते,
मैया जी के द्वारे,
बारी बारी से मेरी मैया,
सबके काज संवारे,
यहाँ पर तो भरती,
झोलियाँ सब की रे,
मेरी शेरावाली मां,
बदलती तकदीरे ॥
अगर भरोसा सच्चा हो तो,
काम बने एक पल में,
देर उन्ही को लगती जिनके,
शंका रहती मन में,
कहे ‘सोनू’ रखो,
भावना सच्ची रे,
मेरी शेरावाली मां,
बदलती तकदीरे ॥
कभी जल्दी जल्दी,
कभी धीरे धीरे,
मेरी शेरावाली माँ,
बदलती तकदीरे ॥
कामधेनु एक दिव्य गाय है, जिसे सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली माना जाता है। समुद्र मंथन के दौरान निकले चौदह रत्नों में से एक, कामधेनु को देवताओं और दानवों दोनों ने ही पाने की इच्छा रखी थी।
वेंकटेश्वर भगवान को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। तिरुमाला के वेंकटेश्वर मंदिर में उनकी मूर्ति स्थापित है, जो विश्व के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
मेरे मिथिला देश में, आओ दूल्हा भेष ।
ताते यही उपासना, चाहिए हमें हमेशा ॥
सो सतगुरु प्यारा मेरे नाल है,
जिथे किथे मैनु लै छडाई