मेरी मैया चली, असुवन धारा बही(Meri Maiya Chali Ashuvan Dhara Bahi)

मेरी मैया चली,

असुवन धारा बही,

नौ दिन मैया ने,

बेटो की विपदा हरी,

मेरी मैया चलीं,

असुवन धारा बही ॥


सारे जगत की है महारानी,

भक्तों की श्रद्धा माता ने जानी,

दिल में है खलबली,

असुवन धारा बही,

मेरी मैया चलीं,

असुवन धारा बही ॥


मैया अतिथि बन कर आई,

जगमग दीपक ज्योत जलाई,

सब की बिगड़ी बनी,

असुवन धारा बही,

मेरी मैया चलीं,

असुवन धारा बही ॥


आज विदाई मैया की आई,

भक्तो ने महिमा मैया की गाई,

मन में ज्योत जली,

असुवन धारा बही,

मेरी मैया चलीं,

असुवन धारा बही ॥


दास की विनती सुनलो

सब की अर्जी माँ पूरी करदो,

रेवा के तीर चली,

असुवन धारा बही,

मेरी मैया चलीं,

असुवन धारा बही ॥


मेरी मैया चली,

असुवन धारा बही,

नौ दिन मैया ने,

बेटो की विपदा हरी,

मेरी मैया चलीं,

असुवन धारा बही ॥

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श्री प्रेतराज चालीसा (Shree Pretraj Chalisa)

गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाये।
प्रेतराज जी का लिखूं, चालीसा हरषाय।

मंगल को जन्मे, मंगल ही करते(Mangal Ko Janme Mangal Hi Karte)

मंगल को जन्मे,
मंगल ही करते,

नमो नमो(Namo Namo)

नमो नमो नमो नमो ॥
श्लोक – सतसाँच श्री निवास,

हर बार तेरे दर पे, नव गीत सुनाएंगे (Har Baar Tere Dar Pe Nav Geet Sunayenge)

हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएंगे,

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